उत्तराखंड | प्रेरणादायक उपलब्धि
अल्मोड़ा/देहरादून | 15 दिसंबर 2025
उत्तराखंड की बेटी कविता चंद ने दुनिया के सबसे दुर्गम महाद्वीप अंटार्कटिका की सबसे ऊंची चोटी माउंट विंसन (4,892 मीटर) को फतह कर इतिहास रच दिया है। इस असाधारण उपलब्धि के साथ उन्होंने न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे भारत का नाम अंतरराष्ट्रीय मंच पर रोशन किया है।
कठिन चुनौतियों के बीच ऐतिहासिक सफलता
माउंट विंसन को दुनिया की सबसे कठोर और चुनौतीपूर्ण चोटियों में गिना जाता है। यहां माइनस तापमान, पूर्ण एकांत, तेज बर्फीली हवाएं और पल-पल बदलने वाला मौसम पर्वतारोहियों की परीक्षा लेता है। ऐसी विषम परिस्थितियों के बावजूद कविता चंद ने अदम्य साहस, अनुशासन और दृढ़ संकल्प के साथ शिखर पर तिरंगा फहराया।
अल्मोड़ा की बेटी, मुंबई से उड़ान
मूल रूप से अल्मोड़ा (उत्तराखंड) की रहने वाली कविता चंद वर्तमान में मुंबई में निवास करती हैं। माउंट विंसन की यह चढ़ाई उनके प्रतिष्ठित “सेवन समिट्स” अभियान का अहम हिस्सा है, जिसके अंतर्गत दुनिया के सातों महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों को फतह किया जाता है।
पहले ही पार कर चुकी हैं यूरोप की सबसे ऊंची चोटी
इससे पहले कविता चंद यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रस पर सफल चढ़ाई कर चुकी हैं। माउंट विंसन पर विजय के बाद वह सेवन समिट्स लक्ष्य की ओर और मजबूत कदम बढ़ा चुकी हैं।
अभियान की शुरुआत और अंटार्कटिका तक का सफर
कविता का यह साहसिक अभियान 3 दिसंबर 2025 को भारत से रवाना होने के साथ शुरू हुआ।
- 4 दिसंबर की शाम वह चिली के पुंटा एरेनास पहुंचीं।
- 7 दिसंबर को दोपहर में उन्होंने यूनियन ग्लेशियर के लिए उड़ान भरी।
- उसी दिन बाद में वह लगभग 2,100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित विंसन बेस कैंप पहुंचीं।
यूनियन ग्लेशियर से बेस कैंप तक का अंतिम सफर स्की-सुसज्जित छोटे विमान से करीब 40 मिनट में पूरा किया गया, जो अंटार्कटिका अभियानों की जटिल और चुनौतीपूर्ण लॉजिस्टिक्स को दर्शाता है।
देश और प्रदेश के लिए गर्व का क्षण
कविता चंद की यह उपलब्धि न केवल पर्वतारोहण जगत में एक बड़ी सफलता है, बल्कि यह देश की बेटियों के साहस, क्षमता और आत्मविश्वास का भी प्रतीक है। उत्तराखंड की इस बेटी ने यह साबित कर दिया कि हौसले बुलंद हों तो दुनिया की सबसे ऊंची और सबसे ठंडी चोटियां भी झुक जाती हैं।
निष्कर्ष
अंटार्कटिका की सबसे ऊंची चोटी माउंट विंसन पर विजय पाकर कविता चंद ने इतिहास रच दिया है। उनका यह सफर आने वाली पीढ़ियों, खासकर युवतियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा। भारत को उन पर गर्व है, और उनका यह अभियान देश के साहसिक खेलों के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज रहेगा।


