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अब कोर्ट परिसर में “वकील की ड्रेस” केवल वकीलों के लिए

देहरादून बार एसोसिएशन की सख्ती: दलाल, मुंशी और इंटर्न अगर अधिवक्ता की वेशभूषा में नजर आए, तो दर्ज होगा मुकदमा

देहरादून | 12 जुलाई 2025

देहरादून जिला अदालत परिसर में अनुशासन बनाए रखने और पेशे की गरिमा को सुरक्षित रखने के लिए देहरादून बार एसोसिएशन ने बड़ा फैसला लिया है। एसोसिएशन ने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि अधिवक्ता की निर्धारित ड्रेस (काली पैंट, सफेद शर्ट और कोट) अब सिर्फ पंजीकृत वकीलों तक ही सीमित रहेगी। कोई भी दलाल, मुंशी या लॉ इंटर्न यदि इस वेशभूषा में नजर आए, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

जांच और कार्रवाई के निर्देश

बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मनमोहन कंडवाल और सचिव राजबीर सिंह बिष्ट की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है:

“कुछ गैर-अधिवक्ता लोग खुद को वकील बताकर वकील की ड्रेस में अदालत परिसर में घूमते पाए गए हैं। इससे पेशे की गरिमा को ठेस पहुंच रही है। अब ऐसे लोगों की पहचान कर उनके विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत कराया जाएगा।”

मुंशी और इंटर्न के लिए विशेष दिशा-निर्देश:

मुंशी के लिए:

  • सभी अधिवक्ताओं को निर्देशित किया गया है कि उनके साथ कार्यरत मुंशी का परिचय पत्र बार एसोसिएशन से बनवाया जाए।
  • बिना परिचय पत्र वाले मुंशी को परिसर में काम करने की अनुमति नहीं होगी।
  • उन्हें अधिवक्ता की वेशभूषा पहनने की अनुमति नहीं है।

लॉ इंटर्न के लिए:

  • इंटर्न अब केवल अपने कॉलेज की यूनिफॉर्म में ही अदालत परिसर में आ सकेंगे।
  • ड्रेस पर कॉलेज का मोनोग्राम स्पष्ट रूप से अंकित होना अनिवार्य होगा।
  • साथ ही, कॉलेज का वैध ID कार्ड पहनना अनिवार्य है।
  • नियमों का उल्लंघन करने पर संबंधित कॉलेज को अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए सूचना दी जाएगी।

नकली वकीलों पर होगी कठोर कार्रवाई

बार एसोसिएशन ने यह भी चेताया है कि कोई भी व्यक्ति यदि बिना पंजीकरण के वकालत का कार्य करता पाया गया, तो उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाएगा।


मुख्य बिंदु संक्षेप में:

  • वकील की ड्रेस में सिर्फ अधिवक्ता
  • मुंशी के लिए अनिवार्य पहचान पत्र
  • इंटर्न कॉलेज ड्रेस और ID के साथ ही परिसर में आएं
  • उल्लंघन पर मुकदमा और कॉलेज को नोटिस

निष्कर्ष:
देहरादून बार एसोसिएशन की यह पहल न सिर्फ न्यायालय परिसर में अनुशासन स्थापित करने की दिशा में अहम कदम है, बल्कि यह वकालत पेशे की गरिमा को बनाए रखने का एक ठोस प्रयास भी है।

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