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आंधी–तूफान भी नहीं रोक पाएंगे केदारनाथ रोपवे, देश में पहली बार उत्तराखंड में होगी 3-एस तकनीक की शुरुआत

देहरादून | 16 दिसंबर 2025

केदारनाथ और हेमकुंड साहिब यात्रा में जुड़ने जा रहा नया अध्याय

उत्तराखंड की पवित्र तीर्थ यात्राओं को सुरक्षित, तेज और सुविधाजनक बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया जा रहा है। केदारनाथ और हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजनाओं में देश में पहली बार ट्राई-केबल डिटैचेबल गोंडोला रोपवे तकनीक (3-एस) का इस्तेमाल किया जाएगा। यह अत्याधुनिक तकनीक इतनी सक्षम होगी कि 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं में भी रोपवे का संचालन निर्बाध रूप से किया जा सकेगा।


विश्वस्तरीय तकनीक, भारत में पहली बार प्रयोग

अब तक यह तकनीक दुनिया के चुनिंदा देशों—स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा और चीन—में ही उपयोग की जा रही है। उत्तराखंड इस तकनीक को अपनाने वाला देश का पहला राज्य बनने जा रहा है। इससे न केवल यात्रियों की सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों में आधुनिक परिवहन का नया मानक भी स्थापित होगा।


तेज हवा और विषम मौसम में भी पूरी स्थिरता

3-एस तकनीक की सबसे बड़ी खासियत है गोंडोला केबिन की बेहतर स्थिरता। इसमें दो स्थिर स्टील केबल (ट्रैक रोप) केबिन के पूरे भार को संभालते हैं, जबकि तीसरा चलायमान केबल (हॉल रोप) केबिन को आगे-पीछे खींचता है।
इस संतुलित व्यवस्था के कारण तेज हवा में भी केबिन के डगमगाने की आशंका लगभग समाप्त हो जाती है, जो इसे सामान्य रोपवे प्रणालियों से कहीं अधिक सुरक्षित बनाती है।


एआई बताएगा खराबी से पहले खतरा

इस अत्याधुनिक रोपवे में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित स्मार्ट सिस्टम भी लगाया जाएगा। सेंसर और कैमरों से मिलने वाले रियल-टाइम डेटा का विश्लेषण कर एआई केबल, ब्रेक और ड्राइव सिस्टम में संभावित खराबी का पूर्वानुमान पहले ही लगा लेगा। इससे दुर्घटनाओं की संभावना न्यूनतम रह जाएगी।


3-एस रोपवे की प्रमुख विशेषताएं

  • बंद, वातानुकूलित और मौसम-रोधी गोंडोला केबिन

  • तेज हवा, बारिश और बर्फबारी में भी सुरक्षित संचालन

  • मल्टी-लेयर ब्रेक सिस्टम और सेंसर आधारित वजन संतुलन

  • कम टावर, लंबी स्पैन दूरी, जिससे पर्यावरण को कम नुकसान

  • डिटैचेबल ग्रिप सिस्टम से स्टेशन पर कम गति और लाइन पर तेज रफ्तार

  • 16 से 20 या उससे अधिक यात्रियों की एक साथ सुरक्षित क्षमता

  • एंटी-आइसिंग तकनीक से बर्फ में भी निर्बाध सफर


यात्रा समय में होगी बड़ी कटौती

सोनप्रयाग–केदारनाथ और गोविंदघाट–हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजनाओं के लिए वर्क ऑर्डर जारी किए जा चुके हैं और जल्द ही निर्माण कार्य शुरू होगा। रोपवे बनने के बाद इन तीर्थ स्थलों तक पहुंचने में लगने वाला समय काफी कम हो जाएगा, जिससे बुजुर्गों, बच्चों और दिव्यांग यात्रियों को विशेष राहत मिलेगी।


पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा

रोपवे परियोजनाओं से न सिर्फ तीर्थ यात्राएं सुगम होंगी, बल्कि इससे पर्यटन को नई गति, स्थानीय रोजगार और पर्वतीय क्षेत्रों के आर्थिक विकास को भी मजबूती मिलेगी।


मुख्य सचिव का बयान

उत्तराखंड के मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने कहा,

“केदारनाथ और हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजनाओं में अपनाई जा रही 3-एस तकनीक विश्व की सबसे सुरक्षित तकनीकों में से एक है। इससे यात्रा सुरक्षित, तेज और हर मौसम में संभव होगी।”


निष्कर्ष

उत्तराखंड में केदारनाथ और हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजनाओं के माध्यम से देश में पहली बार 3-एस गोंडोला तकनीक का प्रयोग एक ऐतिहासिक पहल है। यह न केवल तीर्थ यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित करेगी, बल्कि पहाड़ी राज्यों में आधुनिक, पर्यावरण-संवेदनशील परिवहन की नई दिशा भी तय करेगी।

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