तारीख: 12 अगस्त 2025
स्थान: उत्तरकाशी, उत्तराखंड
उत्तरकाशी जिले के धराली-हर्षिल क्षेत्र में हाल ही में आई प्राकृतिक आपदा के सही कारणों का पता लगाने में मौसम ने सबसे बड़ी बाधा खड़ी कर दी है। घने बादल और कोहरे के कारण न तो सैटेलाइट से स्पष्ट तस्वीरें मिल पा रही हैं और न ही ड्रोन घटनास्थल तक पहुंच पा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक स्थल की स्पष्ट तस्वीरें और सटीक आंकड़े सामने नहीं आते, तब तक आपदा के कारणों पर कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता।
एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के भूगर्भ विभागाध्यक्ष और वरिष्ठ भूगर्भ वैज्ञानिक प्रो. एम.पी.एस. बिष्ट ने बताया कि धराली में जिस ऊपरी स्थान से मलबा और पानी नीचे आया, वहां का दृश्य पूरी तरह बादलों से ढका हुआ है। मानसून के कारण क्षेत्र में घना कोहरा भी बना हुआ है, जिससे तकनीकी उपकरण भी सही ढंग से काम नहीं कर पा रहे हैं।
प्रो. बिष्ट ने बताया कि इस आपदा पर जापान, फ्रांस, इंग्लैंड और अमेरिका जैसे देशों के साथ डेटा साझा करने का अंतरराष्ट्रीय अनुबंध है, लेकिन अभी तक किसी भी देश से कोई उपयुक्त जानकारी प्राप्त नहीं हुई है। भारत में भी अभी तक सिर्फ नदी किनारे के आसपास के आंकड़े मिले हैं, जो स्थानीय लोगों और प्रत्यक्षदर्शियों द्वारा साझा किए गए हैं।
2024 के उपग्रहीय आंकड़ों के आधार पर, उस क्षेत्र में किसी प्रकार की ग्लेशियर झील मौजूद नहीं थी। मौसम विज्ञान विभाग के रिकॉर्ड में भी वहां अत्यधिक बारिश का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है, जबकि स्थानीय लोग दावा कर रहे हैं कि घटना से पहले लगातार तीन-चार दिन बारिश हो रही थी।
भारतीय सेना द्वारा भेजा गया ड्रोन भी घटनास्थल तक नहीं पहुंच सका है। ऐसे में विशेषज्ञ मानते हैं कि आपदा के वास्तविक कारण जानने के लिए बादलों के छंटने और विस्तृत आंकड़ों के आने का इंतजार करना होगा। तब तक किसी भी प्रकार की अटकलें भ्रामक हो सकती हैं।