शिक्षा निदेशक ने सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों को जारी किए सख्त निर्देश, शिक्षक संगठनों ने जताया विरोध
देहरादून, 4 जून 2025 — उत्तराखंड में बोर्ड परीक्षा के परिणाम अब सिर्फ छात्रों की उपलब्धि नहीं रहेंगे, बल्कि शिक्षकों की कार्यप्रणाली का मूल्यांकन भी इन्हीं नतीजों से जुड़ जाएगा। राज्य सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए उन शिक्षकों को प्रतिकूल प्रविष्टि (adverse entry) देने के निर्देश दिए हैं, जिनके विद्यालयों का परीक्षा परिणाम खराब रहा है।
माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती ने सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों को इस बाबत निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड बोर्ड का परीक्षा परिणाम 19 अप्रैल 2025 को घोषित किया गया था, जिसमें हाईस्कूल का औसत परीक्षाफल 90.77% और इंटरमीडिएट का 83.23% रहा। ऐसे में जिन विद्यालयों का परिणाम औसत से काफी नीचे रहा है, वहां के शिक्षकों की जवाबदेही तय की जाएगी।
प्रत्येक जिले में होगी समीक्षा, जिम्मेदार शिक्षकों पर गिरेगी गाज
निदेशक द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि मुख्य शिक्षा अधिकारी (सीईओ) अपने-अपने जिलों में ऐसे विद्यालयों की सूची तैयार करें, जहां परीक्षाफल निराशाजनक रहा है। इन स्कूलों के प्रधानाचार्यों से रिपोर्ट लेकर संबंधित शिक्षकों को प्रतिकूल प्रविष्टि दी जाए।
शासन का मानना है कि इससे शिक्षकों में उत्तरदायित्व की भावना बढ़ेगी और वे परीक्षा परिणाम सुधारने की दिशा में अधिक गंभीर प्रयास करेंगे।
शिक्षक संगठनों का विरोध: “यह उत्पीड़न है”
शिक्षा विभाग के इस निर्णय का राजकीय शिक्षक संघ ने तीखा विरोध किया है। संगठन के प्रांतीय अध्यक्ष राम सिंह चौहान और महामंत्री रमेश पैन्युली ने संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा कि यह निर्णय शिक्षकों के मनोबल को तोड़ने वाला है।
उन्होंने कहा,
“राज्य के अधिकांश स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है, संसाधनों की भी दयनीय स्थिति है। ऐसे में केवल परिणाम के आधार पर शिक्षकों को प्रतिकूल प्रविष्टि देना अनुचित और उत्पीड़न की श्रेणी में आता है।”
शिक्षक संघ ने यह भी मांग की है कि शिक्षा विभाग पहले स्कूलों में सभी विषयों के लिए शिक्षक सुनिश्चित करे और पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए, फिर ही शिक्षकों की जिम्मेदारी तय की जाए।
क्या है प्रतिकूल प्रविष्टि और इसका असर?
प्रतिकूल प्रविष्टि सरकारी कर्मचारियों की सेवा पुस्तिका में की जाने वाली एक निगेटिव टिप्पणी होती है, जिसका सीधा असर पदोन्नति, वेतन वृद्धि और अन्य सेवा लाभों पर पड़ता है। आम तौर पर इसे प्रशासनिक चेतावनी के तौर पर लिया जाता है, लेकिन बार-बार ऐसी प्रविष्टि मिलने से कर्मचारी के करियर पर गंभीर असर पड़ सकता है।
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