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उत्तराखंड एसटीएफ की बड़ी सफलता : फर्जी सीबीआई अधिकारी बनकर करने वाले ‘डिजिटल अरेस्ट’ स्कैम का पर्दाफाश, बेंगलुरु से साइबर ठग गिरफ्तार

 स्थान व तारीख: देहरादून, 13 नवम्बर 2025

उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने देशभर में सक्रिय साइबर ठगों के एक बड़े गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। टीम ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर करोड़ों की ठगी करने वाले मुख्य आरोपित किरण कुमार के.एस. को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया है। यह गिरोह फर्जी सीबीआई और मुंबई पुलिस अधिकारी बनकर लोगों को ऑनलाइन धमकाता था और उन्हें मानसिक रूप से ‘अरेस्ट’ कर ठगी करता था।


देहरादून और नैनीताल के पीड़ितों से 87 लाख की ठगी

एसटीएफ की जांच में खुलासा हुआ है कि किरण कुमार और उसके सहयोगियों ने देहरादून और नैनीताल के कई नागरिकों को अपना शिकार बनाया। आरोपित ने खुद को सीबीआई या मुंबई पुलिस का अधिकारी बताकर वीडियो कॉल के माध्यम से पीड़ितों को 48 घंटे तक ‘डिजिटली अरेस्ट’ कर रखा।

ठग पीड़ितों को मनी लांड्रिंग या नारकोटिक्स केस में फंसाने का डर दिखाकर उनसे भारी रकम वसूलते थे। इस दौरान उन्होंने पीड़ितों से कुल 87 लाख रुपये अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कराए।


यश बैंक खाते में गई 41 लाख की रकम

जांच में सामने आया कि इस ठगी में 41 लाख रुपये एक यश बैंक खाते में ट्रांसफर किए गए, जो कि ‘राजेश्वरी जीएके एंटरप्राइज’ के नाम पर पंजीकृत था। यह खाता खुद आरोपी किरण कुमार के.एस. द्वारा संचालित किया जा रहा था।

पुलिस टीम ने आरोपी से तीन मोबाइल फोन, दो सिम कार्ड, कई बैंक चेकबुक, एक लैपटॉप और यूपीआई स्कैनर कोड भी बरामद किए हैं।


देशभर में 24 से अधिक साइबर फ्रॉड केसों में आरोपी

एसटीएफ के मुताबिक, किरण कुमार देशभर के 24 से अधिक साइबर अपराध मामलों में वांछित था। उसके खातों से करीब नौ करोड़ रुपये के संदिग्ध लेनदेन भी सामने आए हैं।

एसटीएफ प्रमुख एसएसपी नवनीत सिंह भुल्लर ने बताया कि यह गिरोह लोगों को फोन या वीडियो कॉल के माध्यम से जांच एजेंसी का अधिकारी बनकर डराता था और फिर उन्हें “ऑनलाइन जांच” के नाम पर उनके घरों में ही डिजिटली अरेस्ट कर ठगी करता था।


बेंगलुरु से देहरादून लाया जा रहा आरोपी

आरोपित को पुलिस टीम ने छह दिन के ट्रांजिट रिमांड पर बेंगलुरु से देहरादून लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस पूरी कार्रवाई में निरीक्षक राजेश सिंह, उपनिरीक्षक जगमोहन सिंह और कांस्टेबल सुधीश खत्री की महत्वपूर्ण भूमिका रही।


निष्कर्ष : साइबर ठगों से रहें सतर्क

यह मामला एक बार फिर यह साबित करता है कि डिजिटल फ्रॉड के नए तरीके लगातार विकसित हो रहे हैं। पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि किसी भी अनजान कॉल या वीडियो चैट पर खुद को सरकारी अधिकारी बताने वाले व्यक्ति पर भरोसा न करें और ऐसी किसी भी घटना की तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत दर्ज करें।

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