उत्तराखंड में कांग्रेस पार्टी पिछले आठ वर्षों से सत्ता से बाहर है और इस दौरान पार्टी संगठनात्मक और नेतृत्व संकट से जूझ रही है। एनएसयूआई और युवा कांग्रेस जैसे पार्टी के प्रमुख संगठनों में सक्रियता की कमी और नेताओं के बीच आपसी मतभेद पार्टी की चुनावी तैयारियों को प्रभावित कर रहे हैं।
नेतृत्व संकट और संगठनात्मक कमजोरी
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने पार्टी के भीतर नेतृत्व की कमी को स्वीकारते हुए कहा, “कांग्रेस में नेताओं की कमी नहीं है। यह एक ऐसी पार्टी है जहां बड़े नेता से लेकर कार्यकर्ता तक सभी को एक समान महत्व दिया जाता है। भाजपा सरकार भी कांग्रेस में रहे नेताओं के सहारे चल रही है। भाजपा डरा धमका कर कांग्रेस नेताओं को तोड़कर अपनी पार्टी में शामिल करती है। लेकिन कांग्रेस में एक से बढ़ कर एक नेता हैं।”
हालांकि, राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि पार्टी के क्षत्रपों की छाया में दूसरी पंक्ति पनप नहीं पा रही है। सत्ता से बाहर होने के कारण दूसरी पंक्ति के नेताओं में भी पार्टी की बड़ी भूमिका लेने में कोई खास दिलचस्पी दिखाई नहीं देती है। विधानसभा, लोकसभा व निकाय चुनाव में मिली हार के बाद अब कांग्रेस में सत्ता की वापसी के लिए छटपटाहट दिख रही है। लेकिन पार्टी में नेताओं की दूसरी पंक्ति सक्रिय नहीं है।
संगठनात्मक विफलता और चुनावी हार
हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने राज्य की सभी पांच सीटों पर हार का सामना किया। पार्टी की वोट शेयर 38% से घटकर 32.83% रह गई। पार्टी के भीतर से मिली जानकारी के अनुसार, पार्टी की हार का मुख्य कारण नेताओं के बीच समन्वय की कमी, आपसी मतभेद और संगठनात्मक कमजोरी रही है।
इसके अलावा, कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हैं। मार्च 2024 में चार वरिष्ठ नेताओं ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा जॉइन की। इसके बाद और भी नेताओं ने पार्टी छोड़ दी, जिससे कांग्रेस की स्थिति और कमजोर हुई।
आगामी चुनावों के लिए पार्टी की रणनीति
कांग्रेस पार्टी आगामी 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए अपनी रणनीति पर विचार कर रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करण महारा, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत ने दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से मुलाकात की। इस बैठक में आगामी पंचायत और विधानसभा चुनावों की रणनीति पर चर्चा की गई।
राहुल गांधी ने राज्य नेतृत्व को एकजुट होकर काम करने और विधानसभा के भीतर और बाहर जनता के मुद्दों को उठाने की सलाह दी।
निष्कर्ष
उत्तराखंड में कांग्रेस पार्टी संगठनात्मक और नेतृत्व संकट से जूझ रही है। एनएसयूआई और युवा कांग्रेस जैसे संगठनों में सक्रियता की कमी और नेताओं के बीच आपसी मतभेद पार्टी की चुनावी तैयारियों को प्रभावित कर रहे हैं। आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी को सत्ता में वापसी के लिए अपनी संगठनात्मक स्थिति को मजबूत करना होगा और एकजुट होकर जनता के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना होगा।