गांव मवाणा घोलतीर की रामलीला में शूर्पणखा के संवाद ने मचाया धमाल, संस्कृत और संस्कृति का हो रहा अनोखा संगम
रुद्रप्रयाग | 17 जून 2025
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के एक छोटे से गांव मवाणा घोलतीर में इन दिनों चल रही रामलीला लोगों के बीच खास चर्चा का विषय बन गई है। वजह? पारंपरिक कथा मंचन के बीच अचानक शूर्पणखा ने अंग्रेजी में कहा—“EXCUSE ME…” और फिर जो हुआ, वह हंसी और तालियों की गूंज में खो गया।
जब शूर्पणखा बनी ‘कूल’ कैरेक्टर
रामचरितमानस के इस प्राचीन प्रसंग को देखने आए सैकड़ों ग्रामीण तब चौंक गए जब शूर्पणखा, जो राम से विवाह प्रस्ताव रख रही थी, राम द्वारा ठुकराए जाने पर लक्ष्मण से संवाद करते हुए अचानक बोली—“Excuse me! आप सिंगल हैं क्या?”
लक्ष्मण के चेहरे पर संकोच और दर्शकों के चेहरों पर मुस्कान की बौछार ने उस शाम को यादगार बना दिया। इस संवाद के साथ ही रामलीला एकदम जीवंत हो उठी और पारंपरिक मंचन को एक नया आयाम मिल गया।
संवादों में दिखी लोकशैली और हास्य का तालमेल
इस रामलीला का मंचन न सिर्फ रामचरितमानस की चौपाइयों और रागनियों से भरपूर है, बल्कि स्थानीय कलाकारों ने इसमें अपनी संवाद अदायगी और हास्यरस के मिश्रण से भी जान फूंक दी है।
शूर्पणखा का किरदार निभाने वाले युवा कलाकार ने संवाद को इतना आकर्षक बनाया कि छोटे बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक मंचन में खो गए। दर्शकों की प्रतिक्रियाएं बताती हैं कि लोगों को इस तरह का हल्का-फुल्का हास्य और प्रयोगधर्मी प्रस्तुति बेहद पसंद आ रही है।
परंपरा और नवाचार का अनूठा संगम
रामलीला कमेटी के अध्यक्ष अनूप राणा ने बताया कि मवाणा घोलतीर गांव की यह रामलीला सदियों पुरानी परंपरा का हिस्सा है।
“हमारी कोशिश रहती है कि नई पीढ़ी की भागीदारी बनी रहे। इसीलिए संवादों और प्रस्तुतियों में थोड़ा बहुत बदलाव कर वर्तमान संदर्भ भी जोड़े जाते हैं, ताकि युवाओं को भी यह संस्कृति रोचक लगे,” – अनूप राणा, अध्यक्ष
ग्रामीणों की उमड़ी भीड़, बना सांस्कृतिक उत्सव
रामलीला के इस आयोजन में आसपास के गांवों से भी बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। कार्यक्रम में बच्चों, महिलाओं और युवाओं की उत्साही भागीदारी इसे एक लोक-सांस्कृतिक उत्सव में बदल रही है।
-
बच्चों के लिए रामलीला देखने के साथ शिक्षाप्रद अनुभव
-
युवाओं को अपनी संस्कृति से जोड़ने का प्रयास
-
हास्य के साथ अध्यात्म का भी संदेश
निष्कर्ष
जहां बड़े शहरों में रंगमंच और थिएटर आधुनिक तकनीकों पर टिके हैं, वहीं उत्तराखंड के एक छोटे से गांव की यह रामलीला संस्कृति, परंपरा और नवाचार का जीवंत उदाहरण बन रही है।
‘Excuse Me’ जैसे संवादों ने रामायण के गंभीर प्रसंग को भी लोगों के चेहरों पर मुस्कान के साथ पहुंचाया और यह दिखा दिया कि लोककला में आज भी अपार ऊर्जा और संभावनाएं छिपी हैं।