देहरादून। 9 अगस्त 2025
उत्तरकाशी के धराली और हर्षिल में हाल ही में आई आपदा के बाद, उत्तराखंड सरकार ने आपदा प्रबंधन की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। अब ध्यान केवल राहत और पुनर्वास पर नहीं, बल्कि आपदा से पहले बचाव की ठोस रणनीति बनाने पर होगा। इसके लिए सरकार ने शीर्ष वैज्ञानिक संस्थानों के विशेषज्ञों को शामिल करते हुए एक विशेष समिति का गठन किया है।
समिति की संरचना और नेतृत्व
सचिव आईटी एवं शहरी विकास नितेश झा ने इस समिति का गठन किया है, जिसकी अध्यक्षता उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यू-सैक) के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत करेंगे।
- समिति में आईआईआरएस-इसरो, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, मौसम विज्ञान विभाग, आईआईटी रुड़की, एनडीएमए और अन्य प्रमुख संस्थानों के वैज्ञानिक शामिल होंगे।
- समिति को एक सप्ताह में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपनी होगी।
फोकस: आपदा से पहले चेतावनी और बचाव
यह वैज्ञानिक समिति तीन प्रमुख मोर्चों पर काम करेगी —
- आपदा से पहले की तैयारी और पूर्व चेतावनी तंत्र को मजबूत करना।
- सैटेलाइट आधारित तकनीकों के जरिए हिमालयी क्षेत्रों में ग्लेशियरों पर बनने वाली झीलों की निरंतर निगरानी।
- ड्रोन तकनीक के उपयोग से आपदा पूर्व और आपदा के दौरान रेस्क्यू एवं सर्वे को अधिक प्रभावी बनाना।
संचार तंत्र पर विशेष जोर
धराली आपदा के दौरान सबसे बड़ी चुनौती संचार व्यवस्था के ध्वस्त होने की रही। आज भी क्षेत्र में संचार पूरी तरह सामान्य नहीं हो पाया है। समिति इस पर विशेष ध्यान देगी कि—
- आपदाग्रस्त क्षेत्रों में बेहतर और आपदा-रोधी संचार नेटवर्क कैसे विकसित किया जा सके।
- सैटेलाइट फोन, हाई-फ़्रीक्वेंसी रेडियो और मोबाइल नेटवर्क बैकअप सिस्टम को किस तरह स्थायी रूप से लागू किया जाए।
राज्य और केंद्र के संस्थानों की साझेदारी
इस मिशन में राज्य के साथ-साथ केंद्र सरकार के कई शीर्ष वैज्ञानिक संस्थान भी साझेदारी करेंगे।
- इसरो, वाडिया इंस्टीट्यूट, एनडीएमए, आईआईटी रुड़की और मौसम विभाग जैसे संस्थान रियल-टाइम डेटा, सैटेलाइट मॉनिटरिंग और टेक्नोलॉजी सपोर्ट प्रदान करेंगे।
- उद्देश्य है कि भविष्य में किसी भी आपदा के दौरान मानव जीवन और संपत्ति के नुकसान को न्यूनतम किया जा सके।
सरकार का संकल्प
सचिव नितेश झा ने कहा,
“धराली और हर्षिल की आपदा ने हमें यह सिखाया है कि आपदा प्रबंधन केवल बाद में राहत देने का काम नहीं, बल्कि पहले से तैयार रहने की प्रक्रिया है। हम वैज्ञानिक तरीकों से उत्तराखंड को आपदा-प्रूफ बनाने की दिशा में काम करेंगे।”