देहरादून, 3 अगस्त 2025
राज्य के जर्जर और खस्ताहाल स्कूलों को लेकर माध्यमिक शिक्षा विभाग ने बड़ा कदम उठाया है। अब प्रदेश भर में टूट-फूट और खतरे की स्थिति में पहुंच चुके स्कूल भवनों का सर्वेक्षण कराया जाएगा। इसके लिए एक विशेष कमेटी का गठन किया जाएगा जो भवनों की स्थिति का मूल्यांकन करेगी। शिक्षा निदेशालय ने यह स्पष्ट किया है कि खंडहर बन चुके स्कूल भवनों को ध्वस्त कर दिया जाएगा, ताकि छात्र-छात्राओं की सुरक्षा से कोई समझौता न हो।
डॉ. मुकुल कुमार सती ने दिए सख्त निर्देश
माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती ने वर्चुअल माध्यम से प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों और संबद्ध विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने स्पष्ट कहा कि छात्रों की सुरक्षा सर्वोपरि है, और जर्जर भवनों के कारण किसी भी प्रकार की अनहोनी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
कमेटी में होंगे कई प्रतिनिधि
सर्वे कार्य के लिए गठित की जाने वाली कमेटी में निम्नलिखित सदस्य शामिल रहेंगे:
- स्कूल प्रबंधन समिति (SMC) के प्रतिनिधि
- स्वयंसेवी संगठन के प्रतिनिधि
- निर्माण एजेंसी या लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर
- शिक्षा विभाग के अधिकारी
यह कमेटी स्कूल भवनों की स्थिति, दीवारों की मजबूती, परिसर में मौजूद बड़े पेड़-पौधों, जर्जर शौचालय, टूटे फर्श और अन्य संरचनात्मक खतरों का भी मूल्यांकन करेगी।
बजट और बाधाओं पर भी होगी रिपोर्टिंग
डॉ. सती ने निर्देश दिए कि यदि किसी क्षेत्र में भवन गिराने या मरम्मत कार्य में बजट की कमी या अन्य तकनीकी दिक्कतें आ रही हैं, तो संबंधित अधिकारी जल्द से जल्द प्रस्ताव बनाकर निदेशालय को भेजें ताकि समय रहते स्वीकृति दी जा सके।
इन बिंदुओं पर विशेष फोकस रहेगा सर्वे में:
- भवन की मौजूदा संरचनात्मक स्थिति
- दीवारों में दरारें या झुकाव
- छत की मजबूती
- पेड़ों की जड़ें जो भवन को नुकसान पहुंचा रही हों
- शौचालयों और पानी की व्यवस्था
- अग्निशमन सुरक्षा उपकरणों की उपलब्धता
- बच्चों के बैठने और खेलने की सुरक्षित व्यवस्था
स्कूलों में होगी सुरक्षा-आधारित वर्गीकरण
सर्वे के बाद स्कूलों को उनकी सुरक्षा स्थिति के आधार पर तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाएगा:
- पूर्णतया सुरक्षित
- आंशिक रूप से मरम्मत योग्य
- पूरी तरह से खतरनाक / ध्वस्त किए जाने योग्य
राज्य भर में चलेगा अभियान
यह अभियान सिर्फ देहरादून या पहाड़ी जिलों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह पूरे उत्तराखंड में सभी सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में लागू किया जाएगा। इससे राज्य सरकार को नई स्कूल बिल्डिंग निर्माण योजना तैयार करने में भी मदद मिलेगी।
शिक्षा निदेशक का बयान:
“हमारे बच्चे हमारी जिम्मेदारी हैं। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि उन्हें पढ़ाई के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण मिले। जर्जर भवनों को लेकर किसी भी तरह की लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”