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उत्तराखंड: जोशीमठ-औली रोपवे को मिलेगा नया रूप, 480 करोड़ की डीपीआर तैयार, दो चरणों में बनेगा 4.5 किमी लंबा आधुनिक रोपवे

देहरादून/चमोली | 25 जून 2025

औली की बर्फीली ढलानों और स्की प्रेमियों के लिए खुशखबरी है। उत्तराखंड सरकार अब जोशीमठ से औली तक नए रोपवे के निर्माण की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रही है। ब्रिज, रोपवे, टनल एंड अदर इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (ब्रिडकुल) ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना की 480 करोड़ रुपये की डीपीआर शासन को सौंप दी है।

यह नया रोपवे लगभग 4.5 किलोमीटर लंबा होगा और इसे दो चरणों में विकसित किया जाएगा, जिसमें अत्याधुनिक गोंडोला तकनीक का उपयोग किया जाएगा। परियोजना के पूरा होने से पर्यटकों को उच्च हिमालयी औली तक पहुंचना और भी आसान और सुरक्षित हो जाएगा।


क्यों जरूरी है नया रोपवे?

जनवरी 2023 में जोशीमठ भू-धंसाव आपदा ने न केवल क्षेत्रवासियों को संकट में डाला, बल्कि वहां के बुनियादी ढांचे को भी गहरा नुकसान पहुंचाया। इस दौरान पुराना रोपवे भी प्रभावित हुआ, जिसके टावर नंबर-1 और 2 के पास दरारें आ गईं। तब से इसका संचालन पूरी तरह बंद है।

सरकार ने स्थिति का संज्ञान लेते हुए ब्रिडकुल को नए सिरे से सर्वे और डीपीआर तैयार करने के निर्देश दिए, जो अब पूरा हो चुका है।


दो चरणों में होगा निर्माण

पहला चरण: जोशीमठ से औली (2.76 किमी)

  • 11 टावर लगाए जाएंगे
  • मोनो केबल सिस्टम आधारित
  • 21 गोंडोला केबिन, प्रत्येक में 6–7 यात्रियों की क्षमता
  • अत्याधुनिक तकनीक और बेहतर सुरक्षा मानकों के साथ

दूसरा चरण: औली से गोरसों (1.85 किमी)

  • 7 टावर लगाए जाएंगे
  • 9 गोंडोला केबिन चलाए जाएंगे

कुल लंबाई: 4.61 किमी
सवारी क्षमता: प्रतिघंटा 500 यात्री


परियोजना का अगला कदम

ब्रिडकुल के प्रबंध निदेशक एनपी सिंह ने बताया कि डीपीआर को शासन को सौंप दिया गया है और स्वीकृति मिलते ही टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। परियोजना को उच्च गुणवत्ता, पर्यावरणीय संतुलन और तकनीकी दक्षता के साथ विकसित किया जाएगा।


ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

जोशीमठ से औली तक पहला रोपवे वर्ष 1984-85 में शुरू हुआ था, जो लगभग 39 वर्षों तक संचालित रहा। यह रोपवे स्की पर्यटकों और तीर्थयात्रियों दोनों के लिए खास आकर्षण रहा है। लेकिन अब समय आ गया है कि पुराने रोपवे की जगह एक नई और विश्वस्तरीय संरचना को स्थान दिया जाए।


पर्यटन और रोजगार को मिलेगा बढ़ावा

नई रोपवे परियोजना से:

  • शीतकालीन पर्यटन को नई उड़ान मिलेगी
  • स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे
  • जोशीमठ से औली और गोरसों तक पर्यटन आवागमन सुगम और सुरक्षित होगा

निष्कर्ष:
480 करोड़ की लागत से बनने जा रही जोशीमठ-औली रोपवे परियोजना उत्तराखंड के साहसिक पर्यटन, तीर्थाटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए गेमचेंजर साबित हो सकती है। अब सभी की निगाहें शासन की स्वीकृति और निर्माण कार्य शुरू होने की तिथि पर टिकी हैं।

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