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उत्तराखंड न्यूज़ स्पेशल रिपोर्ट | दस हजार लोगों की प्यास फाइलों में उलझी, देहरादून के इस इलाके में पानी का संकट, योजना चार साल से अटकी

 

देहरादून/सुभाषनगर – जून 2025 

गर्मी बढ़ते ही राजधानी देहरादून का सुभाषनगर, भारुवाला ग्रांट और टर्नर रोड क्षेत्र पानी की किल्लत से जूझने लगता है। करीब 10,500 की आबादी वाले इस क्षेत्र के लिए 2021 में मुख्यमंत्री द्वारा घोषित पेयजल योजना अब तक केवल कागज़ों में सीमित है। 27 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना को दो बार शासन को भेजा गया, लेकिन अब तक स्वीकृति नहीं मिल पाई।


चार साल बाद भी धरातल पर नहीं आई योजना

वर्ष 2021 में मुख्यमंत्री ने इन इलाकों के लिए समुचित पेयजल आपूर्ति योजना बनाने की घोषणा की थी। योजना का सर्वे हुआ, एस्टीमेट तैयार हुआ, और वर्ष 2024 में उसे दोबारा अद्यतन कर 27 करोड़ रुपये का प्रस्ताव शासन को भेजा गया, लेकिन चार साल बाद भी यह योजना किसी फाइल में धूल फांक रही है।


क्या है योजना में?

पेयजल निगम की प्रस्तावित योजना में शामिल हैं:

  • सुभाषनगर, टर्नर रोड और भारुवाला ग्रांट में 30 किलोमीटर लंबा नया पाइपलाइन नेटवर्क

  • पीपलेश्वर मंदिर के पास 2600 किलोलीटर क्षमता का ओवरहेड टैंक

  • क्षेत्र में दो नए ट्यूबवेलों की स्थापना

  • घर-घर पाइपलाइन कनेक्शन के साथ वाटर मीटरिंग सिस्टम


समिति की हरी झंडी, फिर भी शासन की चुप्पी

कार्यकारी अभियंता दीपक नौटियाल के अनुसार,

“दिसंबर 2024 में योजना को विभागीय व्यय वित्त समिति से मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन शासन स्तर से स्वीकृति अभी भी लंबित है। जैसे ही स्वीकृति मिलती है, कार्य शुरू कर दिया जाएगा।”


वर्तमान में हालात: अस्थायी ट्यूबवेल और पानी का संघर्ष

फिलहाल क्षेत्र में जल संस्थान के ट्यूबवेलों से सीमित समय के लिए पानी की आपूर्ति की जा रही है। कुछ कॉलोनियों में सीधी सप्लाई तो कहीं बिल्कुल भी पानी नहीं पहुंच पा रहा है। गर्मियों में स्थिति और विकराल हो जाती है।


स्थानीय लोगों की पीड़ा

धर्मेंद्र सिंह, निवासी टर्नर रोड:

“हर गर्मी में हालात खराब होते हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं निकाला गया। अब सब्र का बांध टूट रहा है।”

आकाश प्रजापति, निवासी सुभाषनगर:

“पानी के बिना रोजमर्रा की जरूरतें पूरी नहीं हो पा रहीं। सरकार को जल्द ठोस कदम उठाना चाहिए।”


पानी की किल्लत का सामाजिक असर

  • महिलाएं और बुजुर्ग हर दिन पानी के लिए मशक्कत कर रहे हैं।

  • स्कूल और छोटे व्यवसायों पर असर

  • टैंकरों और बोतलबंद पानी पर निर्भरता बढ़ी


अब सवाल यह है – कब मिलेगा समाधान?

जहां एक ओर सरकार “हर घर जल” और स्मार्ट सिटी जैसे अभियानों की बात करती है, वहीं राजधानी के भीतर ही ऐसी बस्तियां हैं जो हर गर्मी में बूंद-बूंद पानी को तरसती हैं। स्थानीय लोग अब सड़क पर उतरने और विरोध प्रदर्शन की योजना बना रहे हैं यदि योजना को जल्द मंजूरी नहीं मिलती।

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