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उत्तराखंड पंचायती चुनाव 2025: जिला पंचायत अध्यक्ष पदों के आरक्षण का अनंतिम प्रस्ताव जारी, 6 अगस्त को आएगा अंतिम निर्णय

त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली में पहली बार ओबीसी आरक्षण लागू, आपत्तियों के लिए तय की गई समयसीमा

देहरादून, 1 अगस्त 2025 — उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के परिणामों के बाद अब जिला पंचायत अध्यक्ष पदों के आरक्षण को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है। पंचायती राज विभाग ने बुधवार को जिला पंचायत अध्यक्ष पदों के आरक्षण का अनंतिम प्रस्ताव जारी कर दिया है। इसमें पहली बार ओबीसी आरक्षण के लिए गठित एकल सदस्यीय समर्पित आयोग की सिफारिशों को लागू किया गया है, जिससे आरक्षण व्यवस्था में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है।

क्या है प्रस्ताव की मुख्य बातें?

  • आरक्षण की यह सूची प्रदेश के 12 जिलों के लिए जारी की गई है।
  • 2 अगस्त से 4 अगस्त तक इस प्रस्ताव पर आपत्तियां दर्ज कराई जा सकती हैं।
  • 5 अगस्त को आपत्तियों का निस्तारण होगा।
  • 6 अगस्त को अंतिम आरक्षण सूची प्रकाशित की जाएगी।

आरक्षण व्यवस्था में क्या हुआ बदलाव?

पंचायती राज सचिव चंद्रेश कुमार द्वारा जारी इस प्रस्ताव के अनुसार, पिछड़े वर्गों (OBC) को अब आबादी के अनुपात में प्रतिनिधित्व दिया गया है। वर्ष 2019 की तुलना में कई जिलों में आरक्षण की श्रेणी बदली गई है।

  • वर्ष 2019 में पिथौरागढ़ जिला पंचायत अध्यक्ष पद OBC महिला के लिए आरक्षित था, लेकिन इस बार वह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित की गई है।
  • ऊधमसिंह नगर की सीट अब OBC के लिए आरक्षित कर दी गई है।

आपत्तियां कहां दर्ज कराएं?

लिखित आपत्तियां नीचे दिए पते पर 2-4 अगस्त के बीच भेजी जा सकती हैं:
कार्यालय-सचिव, पंचायतीराज विभाग, उत्तराखंड शासन, कक्ष संख्या-19, सोबन सिंह जीना भवन, सचिवालय परिसर, 04-सुभाष मार्ग, देहरादून।


2019 बनाम 2025: जिला पंचायत अध्यक्ष पद आरक्षण तालिका

जिला2019 का आरक्षण2025 का प्रस्तावित आरक्षण
उत्तरकाशीअनारक्षितअनारक्षित
टिहरीअनारक्षितमहिला
पौड़ीअनुसूचित जातिमहिला
रुद्रप्रयागअनुसूचित जातिमहिला
चमोलीअनारक्षितअनारक्षित
देहरादूनअनुसूचित जनजातिमहिला
ऊधमसिंह नगरअन्य महिलापिछड़ा वर्ग
नैनीतालअन्य महिलापिछड़ा वर्ग
अल्मोड़ाअनारक्षितमहिला
चंपावतअन्य महिलाअनारक्षित
बागेश्वरअन्य महिला, अनुसूचित जातिमहिला
पिथौरागढ़पिछड़ा वर्ग महिलाअनुसूचित जाति

विश्लेषण: क्या है नया और अहम?

  • महिला जिलाध्यक्षों की संख्या इस बार एक सीट कम हो गई है।
  • OBC प्रतिनिधित्व अब अधिक सशक्त हुआ है, खासकर ऊधमसिंह नगर और नैनीताल जैसे जिलों में।
  • यह निर्णय न्यायपूर्ण भागीदारी और सामाजिक संतुलन की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।

निष्कर्ष:
उत्तराखंड में पंचायती व्यवस्था को और अधिक समावेशी बनाने की दिशा में यह प्रस्ताव अहम साबित हो सकता है। हालांकि अंतिम मुहर 6 अगस्त को लगेगी, लेकिन उससे पहले स्थानीय लोगों, जनप्रतिनिधियों और समाजसेवियों को इस पर अपनी राय देने का पूरा अवसर मिलेगा।

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