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उत्तराखंड पंचायत चुनाव 2025: धनोला में देवरानी और जेठानी दोनों ने लहराया जीत का परचम, पहली बार चुनाव लड़ीं और बनीं विजेता

राजनीति में रिश्तों की नई मिसाल, पंचायत चुनाव में अनोखी कहानी

देहरादून, 31 जुलाई 2025 — उत्तराखंड के पंचायत चुनावों में इस बार रिश्तों और राजनीति का एक अनोखा मेल देखने को मिला। देहरादून की धनोला ग्राम पंचायत में पहली बार चुनावी मैदान में उतरीं देवरानी और जेठानी दोनों ने जीत दर्ज कर क्षेत्र में नया इतिहास रच दिया है। यह न केवल चुनावी परिणाम का हिस्सा है, बल्कि ग्रामीण राजनीति में महिलाओं की भागीदारी और बदलते सामाजिक समीकरणों की एक मजबूत तस्वीर भी पेश करता है।


दोनों की जीत, अलग-अलग पदों पर कमाल

  • जेठानी सोनिया थापा ने ग्राम पंचायत सदस्य पद पर जीत दर्ज की। उन्होंने अपनी प्रतिद्वंद्वी सरिता तोपवाल को 30 वोटों के अंतर से हराकर कुल 643 वोट प्राप्त किए।
    * सोनिया के पति सचिन थापा देश सेवा में कार्यरत हैं (सेना में)।
  • देवरानी साक्षी थापा ने क्षेत्र पंचायत सदस्य (BDC) पद पर चुनाव लड़ा और कविता रावत को 23 वोटों से पराजित कर 580 वोट हासिल किए।
    * उनके पति धीराज थापा पहले भी क्षेत्र पंचायत सदस्य रह चुके हैं, जिससे उन्हें पारिवारिक राजनीतिक अनुभव का लाभ भी मिला।

पंचायत चुनाव में उत्साह, भारी मतदान

उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव दो चरणों में आयोजित किए गए — 24 और 28 जुलाई को।

  • राज्य के 12 जिलों (हरिद्वार छोड़कर) में शांतिपूर्ण तरीके से मतदान हुआ।
  • 68.16% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
  • कुल 10,915 पदों के लिए 34,151 प्रत्याशी मैदान में थे।
  • अब तक 22,429 प्रतिनिधि निर्विरोध निर्वाचित हो चुके हैं।
  • मतगणना कार्य में 15,024 कार्मिक और 8,926 सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए।

धनोला बना चर्चा का केंद्र

धनोला ग्राम पंचायत की यह जीत इसलिए खास मानी जा रही है क्योंकि यह सिर्फ दो महिलाओं की व्यक्तिगत सफलता नहीं है, बल्कि इससे गांव की महिलाओं में नई ऊर्जा और राजनीतिक जागरूकता भी पैदा हुई है। पहली बार चुनाव में उतरीं सोनिया और साक्षी थापा ने खुद को एक मजबूत प्रत्याशी साबित किया और क्षेत्र के मतदाताओं का भरोसा जीता।


राजनीति में रिश्तों की नई परिभाषा

देवरानी-जेठानी की यह चुनावी जीत उन सामाजिक धारणाओं को भी चुनौती देती है जहां आमतौर पर रिश्तों में टकराव या प्रतिस्पर्धा की कहानियां अधिक सुनने को मिलती हैं। लेकिन धनोला में इस रिश्ते ने सहभागिता और जनसेवा का उदाहरण पेश किया है।


विश्लेषण: क्यों है यह जीत महत्वपूर्ण?

पहलूमहत्व
महिलाओं की भागीदारीग्राम स्तर की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी और नेतृत्व की क्षमता सामने आई
परिवार से समर्थनपति और परिवार के सहयोग से दोनों उम्मीदवारों ने चुनावी रणनीति सफलतापूर्वक चलाई
स्थानीय मुद्दों पर फोकसदोनों ने क्षेत्र के विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों को लेकर चुनाव लड़ा
नए मतदाताओं में उत्साहइस अनोखी जीत से युवा मतदाताओं में भी जागरूकता बढ़ी

स्थानीय प्रतिक्रियाएं

“हमने बदलाव के लिए वोट किया और हमें यकीन है कि सोनिया और साक्षी हमारे गांव की दशा और दिशा दोनों बदलेंगी।”
— स्थानीय मतदाता, धनोला गांव

“हमारी जीत सिर्फ रिश्तेदारी की नहीं, जिम्मेदारी की जीत है। हम मिलकर गांव की सेवा करेंगे।”
— सोनिया थापा, ग्राम पंचायत सदस्य


निष्कर्ष:

उत्तराखंड पंचायत चुनाव 2025 में धनोला ग्राम पंचायत की यह जीत सिर्फ एक परिणाम नहीं, बल्कि गांव की महिलाओं के लिए प्रेरणा है। देवरानी और जेठानी का एक साथ राजनीति में आना, और फिर जीत हासिल करना, ग्रामीण राजनीति में सामंजस्य, नेतृत्व और सामाजिक बदलाव की मिसाल बन गया है।

अब नजरें इस बात पर टिकी हैं कि ये दोनों जनप्रतिनिधि अपने-अपने पदों पर गांव के विकास की नई कहानी कैसे लिखती हैं।

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