12 जिलों के नतीजे घोषित, ग्रामीण राजनीति में बदला समीकरण
देहरादून, 1 अगस्त 2025 — उत्तराखंड में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के परिणामों ने इस बार प्रदेश की राजनीति में नया संदेश दिया है। जिला पंचायत की 358 सीटों पर हुए चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों ने सबसे अधिक 145 सीटों पर जीत दर्ज कर भाजपा और कांग्रेस को पछाड़ दिया है। यह पहली बार हुआ है जब दो बड़ी पार्टियों को पीछे छोड़ स्वतंत्र प्रत्याशियों का दबदबा देखने को मिला है।
चुनावी परिणाम: कौन कितना जीता
| पार्टी/श्रेणी | सीटें जीतीं |
|---|---|
| निर्दलीय | 145 |
| भाजपा समर्थित | 121 |
| कांग्रेस समर्थित | 92 |
| कुल सीटें | 358 |
- मतदान प्रतिशत: लगभग 70%
- चुनाव प्रक्रिया: शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न
- जिला पंचायत चुनाव परिणाम: सभी 12 जिलों से घोषित
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का प्रतिक्रिया
“उत्तराखंड की देवभूमि की जनता ने लोकतंत्र में आस्था दिखाई है। मानसून जैसे चुनौतीपूर्ण समय में शांतिपूर्ण चुनाव संपन्न हुआ, इसके लिए मैं सभी मतदाताओं को धन्यवाद देता हूं।
भाजपा समर्थित और अन्य विचारधारा से चुनकर आए सभी प्रतिनिधियों को बधाई। हम सबका दायित्व है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विकसित भारत’ के संकल्प में भागीदारी निभाएं।
जल्द ही पंचायत प्रतिनिधियों के लिए प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाएंगे। पंचायतों को आत्मनिर्भर बनाने, स्वच्छता को बढ़ावा देने और केंद्र व राज्य की योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए हम मिलकर काम करेंगे।”
— पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड
कांग्रेस ने बताया अपनी जीत, 2027 की सत्ता का दावा
“ग्रामीण जनता ने भाजपा की जनविरोधी नीतियों को नकारते हुए कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया है। यह साफ संकेत है कि 2027 में सत्ता परिवर्तन होगा।
यदि भाजपा प्रलोभन और दबाव की राजनीति न अपनाए, तो कई जिलों में कांग्रेस समर्थित जिला पंचायत अध्यक्ष चुने जाएंगे।
यह परिणाम भाजपा के लिए स्पष्ट जनादेश है कि ग्रामीण भारत अब उनकी नीतियों से संतुष्ट नहीं।”
— करन माहरा, प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस
क्या कहता है यह परिणाम?
- राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, निर्दलीय उम्मीदवारों की बड़ी जीत इस ओर इशारा करती है कि अब ग्रामीण मतदाता पार्टी सिंबल से अधिक व्यक्ति की छवि और कामकाज पर भरोसा कर रहा है।
- पंचायतों में अब गठजोड़ और रणनीतिक समीकरण अहम होंगे, विशेषकर जिला पंचायत अध्यक्ष चुनने के लिए।
- यह परिणाम राज्य की आगामी विधानसभा चुनाव की दिशा तय कर सकता है, जहां स्थानीय नेतृत्व और जमीनी मुद्दे प्रभावशाली भूमिका निभाएंगे।
निष्कर्ष:
उत्तराखंड में पंचायत चुनावों का यह परिणाम न सिर्फ सियासी दलों को नई रणनीति पर विचार करने को मजबूर करेगा, बल्कि लोकतंत्र की जड़ों में जनता के बदलते रुझान को भी दर्शाता है। अब देखना होगा कि आगामी जिला पंचायत अध्यक्ष पदों पर कौन बाज़ी मारता है—पार्टी, गठबंधन या फिर निर्दलीय।


