देहरादून | जून 2025
राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। इसी क्रम में निर्वाचन आयोग ने एक महत्वपूर्ण रणनीति अपनाई है। उन क्षेत्रों में पहले चरण में मतदान कराया जाएगा, जहां हर साल मानसून के दौरान भारी बारिश और आपदा का खतरा अधिक रहता है। कुल 12 जिलों के 49 विकासखंडों को इस श्रेणी में चिन्हित किया गया है।
मानसून की चाल को देखते हुए निर्णय
राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने बताया कि मौसम विभाग के साथ हुई प्राथमिक बातचीत में यह बात सामने आई कि जुलाई के पहले दो हफ्तों में मानसून की चाल अपेक्षाकृत धीमी रहती है। इस संभावित समय खिड़की का लाभ उठाते हुए सबसे संवेदनशील और दुर्गम इलाकों में पहले चरण का मतदान कराया जाएगा ताकि मौसम के बिगड़ने से पहले मतदान संपन्न हो सके।
आपदा प्रबंधन और मौसम विभाग से तालमेल
निर्वाचन आयोग ने मतदान की प्रक्रिया को सुरक्षित और सुचारू बनाने के लिए आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव को निर्देश दिए हैं कि मतदान दलों के सुरक्षित आवागमन की योजना तैयार की जाए। आवश्यकता पड़ने पर हेलिकॉप्टर की सहायता भी ली जा सकती है। साथ ही, मौसम विभाग से मतदान की संभावित तिथियों पर विस्तृत पूर्वानुमान मांगा गया है।
मतदान स्थलों के लिए आकस्मिक योजना
निर्वाचन आयुक्त ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने जिलों के लिए आकस्मिक आपदा प्रबंधन योजना तैयार करें। इसमें निम्न बिंदु शामिल होंगे:
- पोलिंग स्टेशनों तक पहुंचने वाले मार्गों की स्थिति
- मतदान सामग्री की सुरक्षा
- पोलिंग पार्टियों की प्राथमिक चिकित्सा (First Aid Kit)
- प्रत्येक ब्लॉक में चिकित्सक, आवश्यक दवाएं और एंबुलेंस की उपलब्धता
- आकस्मिक स्थिति में राहत और बचाव की त्वरित व्यवस्था
रविवार को सभी जिलाधिकारियों के साथ इस संबंध में एक वर्चुअल समीक्षा बैठक बुलाई गई है।
मतदान कर्मियों की सुरक्षा भी प्राथमिकता
निर्वाचन आयुक्त ने यह भी जानकारी दी कि यदि मतदान ड्यूटी के दौरान किसी कर्मचारी की मृत्यु होती है, तो उसके परिजनों को 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। इस प्रस्ताव को शासन को भेजा जा चुका है और शीघ्र ही इसकी मंजूरी मिलने की उम्मीद है।
सारांश:
उत्तराखंड में पंचायत चुनावों की रणनीति इस बार मौसम के लिहाज से बेहद सतर्क और वैज्ञानिक तरीके से तैयार की गई है। दुर्गम इलाकों को प्राथमिकता देना, आपदा प्रबंधन से समन्वय और कर्मियों की सुरक्षा को लेकर गंभीरता, इस बार के पंचायत चुनाव को अधिक व्यवस्थित और सुरक्षित बनाने की दिशा में मजबूत कदम है।
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