घाटे में चल रहे निगम ने यात्री बढ़ाने के लिए उठाया कदम, सभी डिपो में योजना लागू
देहरादून, 1 अगस्त 2025 – वित्तीय संकट से जूझ रहे उत्तराखंड परिवहन निगम ने यात्रियों को लुभाने और राजस्व बढ़ाने के उद्देश्य से नई छूट योजना की घोषणा की है। अब यदि यात्री निगम की बस सेवा के लिए जाने और आने (रिटर्न) दोनों का टिकट ऑनलाइन एक साथ बुक करते हैं, तो उन्हें कुल किराए में 10% की छूट दी जाएगी।
इस योजना को 1 अगस्त से प्रदेश भर के सभी डिपो में लागू कर दिया गया है।
किसे मिलेगा छूट का लाभ?
- यात्रियों को तभी छूट मिलेगी जब वे आने-जाने का टिकट एक साथ बुक करेंगे।
- यह योजना साधारण और वोल्वो बसों दोनों पर लागू होगी।
- सबसे राहत की बात: रिटर्न डेट फिक्स नहीं करनी होगी, यात्री अपनी सुविधा के अनुसार लौटने की तारीख चुन सकते हैं।
कैसे करें टिकट बुकिंग?
योजना का लाभ सिर्फ ऑनलाइन टिकट बुकिंग पर मिलेगा। यात्री उत्तराखंड परिवहन निगम की वेबसाइट या मोबाइल एप के जरिए टिकट बुक कर सकते हैं। बुकिंग करते समय “रिटर्न जर्नी” का विकल्प चुनते ही छूट लागू हो जाएगी।
निगम की आर्थिक स्थिति चिंताजनक
उत्तराखंड परिवहन निगम इस समय 70 करोड़ रुपये से अधिक के घाटे में चल रहा है। हालत यह है कि:
- कर्मचारियों को जून माह का वेतन (करीब 21 करोड़) अब तक नहीं मिल पाया।
- अनुबंधित बस ऑपरेटरों को तीन माह (मई-जुलाई) का भुगतान, लगभग 24 करोड़ रुपये, लंबित है।
- बचत ऋण समितियों का 15 करोड़ रुपये और स्पेयर पार्ट्स की खरीद का भुगतान भी रुका हुआ है।
चारधाम यात्रा और पर्यटन सीजन में भी नहीं हुआ लाभ
इस बार की चारधाम यात्रा और पर्यटन सीजन में निगम को अपेक्षित राजस्व नहीं मिल पाया। इसकी मुख्य वजह मानी जा रही है:
- पुरानी बसें, जो यात्रियों को आकर्षित नहीं कर पा रहीं।
- उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों की नई और लग्जरी बसें, यात्रियों की पहली पसंद बन चुकी हैं।
क्या बोले अधिकारी?
राजीव कुमार गुप्ता, सहायक महाप्रबंधक (ग्रामीण डिपो) ने कहा:
“यह योजना गुरुवार से लागू कर दी गई है। इसका उद्देश्य निगम की सेवाओं को प्रतिस्पर्धात्मक बनाना है। उम्मीद है कि इससे यात्रियों की संख्या बढ़ेगी और निगम की आय में सुधार होगा।”
क्या योजना से आएगा बदलाव?
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह योजना छोटे और मध्यम दूरी की यात्रा करने वाले यात्रियों को जरूर आकर्षित करेगी, खासकर पर्वतीय मार्गों पर जहां वापसी की योजना पहले से बनाई जाती है।
निष्कर्ष:
उत्तराखंड परिवहन निगम का यह कदम राजस्व संकट से उबरने की दिशा में एक साहसिक प्रयास है। हालांकि इसका स्थायी प्रभाव तभी देखने को मिलेगा जब निगम अपनी सेवाओं की गुणवत्ता और बसों के बेड़े का आधुनिकीकरण भी सुनिश्चित करे।