देहरादून, 27 सितंबर 2025
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) की स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा में पेपर लीक का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा। युवाओं के आंदोलन ने अब राजनीतिक मोड़ ले लिया है। परेड ग्राउंड में चल रहे धरने के दौरान ‘छीन के लेंगे आजादी’ जैसे नारे गूंजने लगे, जिस पर कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने आ गई हैं।
युवाओं के आंदोलन को मिला नया मोड़
शुरुआत में यह आंदोलन परीक्षा की शुचिता और युवाओं के भविष्य की सुरक्षा की मांग से जुड़ा था, लेकिन अब इसमें तीखे राजनीतिक रंग दिखने लगे हैं। आंदोलन में लगे नारों ने बहस को तेज कर दिया है। कांग्रेस ने आंदोलन के तेवरों को व्यवस्था विरोधी मानते हुए परोक्ष समर्थन दिया है, जबकि भाजपा ने इसे विपक्ष का षड्यंत्र और ‘जिहादी मानसिकता’ का हिस्सा बताया है।
कांग्रेस का समर्थन और भाजपा का आरोप
कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि युवाओं के नारों में नकल माफिया और धामी सरकार के खिलाफ आक्रोश झलक रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा झूठ फैलाकर आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश कर रही है।
वहीं भाजपा विधायक विनोद चमोली ने कड़ा पलटवार करते हुए कहा कि देवभूमि की संस्कृति में जिहादी नारे नहीं हो सकते। उन्होंने सवाल उठाया कि “यदि यहां भगवा नहीं चलेगा तो क्या चांद-सितारे चलेंगे?” उनका आरोप है कि कांग्रेस आंदोलन को विपक्ष के भाजपा विरोधी देशव्यापी एजेंडे का हिस्सा बनाना चाहती है।
सरकार की सख्ती और युवाओं का गुस्सा
प्रदेश सरकार ने पेपर लीक प्रकरण में दोषियों पर कार्रवाई की है और एसआईटी जांच चल रही है। बावजूद इसके, युवाओं का गुस्सा कम नहीं हुआ है। आंदोलन में वामपंथी संगठनों और अन्य समूहों की भागीदारी बढ़ने से सत्ता पक्ष और ज्यादा सशंकित है।
निष्कर्ष
पेपर लीक के विरोध में शुरू हुआ यह आंदोलन अब सियासी जंग का मैदान बनता जा रहा है। कांग्रेस जहां इसे युवाओं की आवाज कह रही है, वहीं भाजपा इसे देवभूमि की संस्कृति पर हमला और विपक्ष का एजेंडा बता रही है। सवाल यह है कि क्या यह आंदोलन युवाओं के भविष्य को सुरक्षित करेगा या राजनीति की भेंट चढ़ जाएगा।