BREAKING

उत्तराखंड: भालू आतंक फिर बढ़ा, टिहरी में एक ग्रामीण की मौत, रुद्रप्रयाग में फिटर घायल – दो जिलों में भालू के हमले

तारीख: 27 नवंबर 2025 | स्थान: नई टिहरी / रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड

उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में भालू के लगातार बढ़ते हमलों से दहशत का माहौल है। मंगलवार और बुधवार को टिहरी व रुद्रप्रयाग जिलों में दो अलग-अलग घटनाओं में एक ग्रामीण की मौत हो गई, जबकि दूसरा गंभीर रूप से घायल हो गया। दोनों घटनाओं ने मानव–वन्यजीव संघर्ष की गंभीरता को एक बार फिर उजागर कर दिया है।


टिहरी: बाइक सवार पर भालू का हमला, ग्रामीण की मौत

मंगलवार रात करीब 8 बजे टिहरी जिले के भिलंगना ब्लॉक के मगरौं पौखाल क्षेत्र में यह दर्दनाक घटना हुई।
चमोली निवासी राकेश गिरी (44 वर्ष), जो “गूंज” संस्था में कार्यरत थे, बाइक से घर लौट रहे थे। रास्ते में अचानक जंगली भालू ने उन पर झपट्टा मार दिया।


लोगों के शोर से भालू भागा, लेकिन बच न सके राकेश

पीछे से आ रहे ग्रामीणों के शोर मचाने पर भालू जंगल की ओर भाग गया, लेकिन तब तक राकेश गंभीर रूप से घायल हो चुके थे।
उन्हें तुरंत बेस अस्पताल श्रीनगर ले जाया गया, जहां से हालत नाजुक होने पर हायर सेंटर रेफर कर दिया गया।

एम्स ऋषिकेश ले जाते समय कीर्तिनगर के पास राकेश ने अंतिम सांस ली।

हालांकि पौखाल रेंज अधिकारी हर्षराम उनियाल ने भालू के हमले की घटना से इंकार किया है, लेकिन ग्रामीणों के अनुसार हमला स्पष्ट रूप से भालू का ही था।


रुद्रप्रयाग: भालू से भिड़ गए फिटर, 10 मिनट तक चली गुत्थमगुत्था

बुधवार सुबह लगभग 7 बजे, रुद्रप्रयाग के कोट मल्ला क्षेत्र में दूसरा हादसा हुआ।
ग्राम पंचायत में फिटर के रूप में कार्यरत भरत सिंह चौधरी पानी के टैंक को खोलने गए थे कि तभी भालू ने उन पर हमला कर दिया।


हिम्मत दिखाकर बचाई जान, लेकिन गंभीर रूप से घायल

घबराने के बजाय भरत सिंह ने भालू से सीधे मुकाबला किया।
करीब 10 मिनट तक दोनों के बीच संघर्ष चलता रहा।
आखिरकार वह किसी तरह पास के पेड़ पर चढ़कर अपनी जान बचाने में सफल रहे।

हमले में उनके पैरों में गहरे घाव हो गए। उन्हें पहले जिला अस्पताल रुद्रप्रयाग और बाद में श्रीनगर बेस अस्पताल रेफर किया गया है।


पहाड़ों में लगातार बढ़ रहे भालू के हमले

पिछले कई महीनों से टिहरी, रुद्रप्रयाग और पिथौरागढ़ जैसे जिलों में भालू की गतिविधि बढ़ी है।
स्थानीय लोग रोजमर्रा के कामों के लिए जंगलों और सुनसान रास्तों पर जाने से भी डरने लगे हैं।

वन विभाग द्वारा निगरानी बढ़ाने और चेतावनी जारी करने के बावजूद घटनाएँ लगातार सामने आ रही हैं।


निष्कर्ष

टिहरी और रुद्रप्रयाग की घटनाएँ यह दर्शाती हैं कि पहाड़ों में मानव–वन्यजीव संघर्ष तेजी से बढ़ रहा है।
एक तरफ जहां जंगलों में भोजन की कमी वन्यजीवों को आबादी की ओर धकेल रही है, वहीं ग्रामीण इलाकों में सुरक्षा उपायों की कमी भी हादसों का कारण बन रही है।

स्थानीय लोगों ने वन विभाग से गश्त बढ़ाने और संवेदनशील क्षेत्रों में चेतावनी बोर्ड लगाने की मांग की है, ताकि भविष्य में ऐसे घटनाओं पर रोक लग सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *