देहरादून | 22 जुलाई 2025
सरकारी अस्पतालों में “रेफर कल्चर” पर सख्ती, स्वास्थ्य विभाग का बड़ा कदम
उत्तराखंड के सरकारी अस्पतालों में मरीजों को अनावश्यक रेफर करने की बढ़ती प्रवृत्ति पर अब सरकार ने सख्त रुख अपना लिया है। स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने सोमवार को सचिवालय में हुई उच्चस्तरीय बैठक में निर्देश दिए कि अब किसी भी मरीज को रेफर करने से पहले संबंधित सीएमओ व सीएमएस के हस्ताक्षर और ठोस कारण जरूरी होंगे।
नई मानक प्रचालन प्रक्रिया (SOP) जल्द लागू की जाएगी, जिससे अस्पतालों की रेफर प्रणाली पारदर्शी और जवाबदेह बन सके।
रेफर सिस्टम में ये होंगे बड़े बदलाव:
- किसी मरीज को रेफर करने से पहले मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (CMS) और मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) के हस्ताक्षर अनिवार्य होंगे।
- रेफर का स्पष्ट और ठोस कारण दर्ज किया जाना अनिवार्य होगा।
- बिना वजह रेफर करने पर संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
- SOP के जरिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मरीज की जान लापरवाही से खतरे में न पड़े।
स्वास्थ्य सचिव का स्पष्ट संदेश:
“मरीज की जिंदगी के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अब हर रेफर केस की जवाबदेही तय होगी।”
— डॉ. आर. राजेश कुमार, स्वास्थ्य सचिव
108 एंबुलेंस न मिलने पर भी तय की गई वैकल्पिक जिम्मेदारी
बैठक में यह भी निर्देश दिए गए कि यदि किसी कारणवश 108 या विभागीय एंबुलेंस समय पर उपलब्ध नहीं हो पाती, तो स्थानीय अस्पताल को अपने संसाधनों से तुरंत वैकल्पिक इंतजाम करना होगा। इसके लिए सभी अस्पतालों को स्थानीय एंबुलेंस नेटवर्क और संसाधनों की सूची पहले से तैयार रखने के निर्देश दिए गए हैं।
शव ले जाने में परिजनों को नहीं होगी परेशानी
यदि इलाज के दौरान मरीज की मृत्यु हो जाती है, तो मोर्चरी वाहन की अनुपलब्धता की स्थिति में अस्पताल प्रशासन की जिम्मेदारी होगी कि परिजनों को शव घर तक पहुंचाने में सहयोग दिया जाए। अब इस मानवीय पहल को भी SOP में शामिल किया जाएगा।
कार्यभार न संभालने वाले पीजी डॉक्टरों पर गिरेगी गाज
बैठक में यह भी खुलासा हुआ कि 13 जून को तबादले के बावजूद कई विशेषज्ञ डॉक्टरों ने अब तक अपनी नई तैनाती पर कार्यभार ग्रहण नहीं किया है।
इन डॉक्टरों को जल्द ही कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा और सेवा शर्तों की अवहेलना पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
बैठक में शामिल प्रमुख अधिकारी:
- महानिदेशक स्वास्थ्य: डॉ. सुनीता टम्टा
- निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं: डॉ. शिखा जंगपागी
- निदेशक चिकित्सा शिक्षा: डॉ. सीपी त्रिपाठी
- अनु सचिव: अनूप मिश्रा
साथ ही राज्य के सभी जिलों के सीएमओ और सीएमएस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक में शामिल हुए।
सारांश: अब उत्तराखंड के सरकारी अस्पतालों में—
- रेफर की प्रक्रिया पारदर्शी और नियमबद्ध होगी।
- मरीजों और परिजनों को मिलेगा न्यायपूर्ण व्यवहार।
- स्वास्थ्य प्रशासन की जवाबदेही तय होगी।
- अस्पतालों की व्यवस्था और सेवाओं में आएगा सुधार।
“सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था में अब लापरवाही नहीं, जवाबदेही होगी—यह उत्तराखंड सरकार का नया संकल्प है।”