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उत्तराखंड में नवंबर से लागू होगा ग्रीन सेस, बाहरी वाहनों को चुकानी होगी अतिरिक्त फीस — पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम

तारीख: 27 अक्टूबर 2025
 स्थान: देहरादून, उत्तराखंड

उत्तराखंड सरकार ने राज्य स्थापना के 25 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में ऐतिहासिक निर्णय लिया है। अब नवंबर माह से राज्य की सीमाओं में प्रवेश करने वाले अन्य राज्यों के वाहनों को ग्रीन सेस (Green Cess) देना होगा। इस सेस से प्राप्त धनराशि का उपयोग वायु प्रदूषण नियंत्रण, हरित बुनियादी ढांचा और स्मार्ट ट्रैफिक प्रबंधन जैसे कार्यों में किया जाएगा।


मुख्यमंत्री धामी ने की घोषणा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य स्थापना की रजत जयंती वर्ष पर सरकार की प्राथमिकता है कि उत्तराखंड को “स्वच्छ, हरित और प्रदूषण-मुक्त” बनाया जाए। उन्होंने कहा कि “ग्रीन सेस से मिलने वाले राजस्व का हर रुपया वायु गुणवत्ता सुधार और पर्यावरण संतुलन पर खर्च किया जाएगा।”

उन्होंने बताया कि सेस की वसूली फास्ट टैग (FASTag) के माध्यम से की जाएगी, ताकि यात्रियों को किसी प्रकार की असुविधा न हो। सरकार ने इस निर्णय को एक “जनभागीदारी आधारित पर्यावरण अभियान” बताया है।


पर्यावरण बोर्ड का अध्ययन और तथ्य

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव डा. पराग मधुकर धकाते ने बताया कि बोर्ड के सर्वेक्षण के अनुसार, देहरादून में वायु प्रदूषण का 55 प्रतिशत कारण सड़क की धूल है, जबकि वाहन उत्सर्जन लगभग सात प्रतिशत योगदान देता है।

ग्रीन सेस के माध्यम से सड़क धूल को नियंत्रित करने, स्वच्छ वाहनों को बढ़ावा देने और प्रदूषणकारी वाहनों की संख्या घटाने की दिशा में ठोस कदम उठाया जाएगा।

उन्होंने बताया कि भारत सरकार के स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2024 में उत्तराखंड के शहरों ने शानदार प्रदर्शन किया है — ऋषिकेश 14वें और देहरादून 19वें स्थान पर रहे। राज्य सरकार इस उपलब्धि को और सुदृढ़ करने के लिए ग्रीन सेस से प्राप्त धन का उपयोग करेगी।


ग्रीन सेस लागू होने के प्रमुख उद्देश्य

  • राज्य में वायु प्रदूषण घटाना और एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) सुधारना।

  • पुराने और प्रदूषणकारी वाहनों पर नियंत्रण लगाना।

  • स्वच्छ ईंधन आधारित वाहनों को बढ़ावा देना।

  • सड़क धूल नियंत्रण, पौधारोपण, और वायु निगरानी नेटवर्क को मजबूत बनाना।


ग्रीन सेस की मुख्य विशेषताएं

  • यह सेस अन्य राज्यों से आने वाले वाहनों से वसूला जाएगा।

  • इलेक्ट्रिक, हाइड्रोजन, सोलर और बैटरी आधारित वाहनों को पूरी तरह छूट दी जाएगी।

  • अनुमान है कि इससे राज्य को लगभग 100 करोड़ रुपये वार्षिक आय होगी।

  • यह राशि वायु निगरानी, हरित क्षेत्र विस्तार, रोड डस्ट नियंत्रण और स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम के विकास में लगाई जाएगी।


राज्य को होगा पर्यावरणीय और आर्थिक लाभ

सरकार का मानना है कि यह कदम न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से लाभकारी होगा बल्कि राज्य को आर्थिक मजबूती भी प्रदान करेगा। इससे राज्य में हरित परियोजनाओं और सतत विकास योजनाओं को गति मिलेगी।

साथ ही, बाहरी वाहनों पर सेस लगाने से स्थानीय यातायात दबाव में भी कमी आएगी और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी।


निष्कर्ष

उत्तराखंड सरकार का यह निर्णय राज्य के भविष्य के लिए एक दूरदर्शी और पर्यावरण-हितैषी कदम माना जा रहा है। यह न केवल प्रदूषण नियंत्रण में मील का पत्थर साबित होगा बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ और हरित उत्तराखंड की नींव भी रखेगा।

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