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    उत्तराखंड में बच्चों की सुरक्षा के लिए बड़ा कदम: कोल्ड्रिफ और डेक्सामेथोरफेन कफ सिरप की बिक्री पर तत्काल रोक

    स्थान: देहरादून, उत्तराखंड | दिनांक: रविवार, 5 अक्टूबर 2025

    मध्य प्रदेश और राजस्थान में बच्चों की मौत के बाद उत्तराखंड सरकार सतर्क
    मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप के सेवन से बच्चों की मौत के मामलों ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इसी के बाद उत्तराखंड सरकार ने बड़ा निर्णय लेते हुए कोल्ड्रिफ (Coldrif) और डेक्सामेथोरफेन (Dextromethorphan) युक्त सिरप की बिक्री पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है।
    राज्य के औषधि निरीक्षकों (Drug Inspectors) को सभी मेडिकल स्टोरों से इन दवाओं को सील करने के निर्देश दिए गए हैं।


    सरकार ने शुरू की कार्रवाई, दवा कंपनियों को भेजे नोटिस
    राज्य औषधि विभाग ने बताया कि दवा कंपनियों से अब तक 49 सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे गए हैं।
    एफडीए (Food and Drug Administration) के अपर आयुक्त एवं औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह जग्गी ने कहा कि जांच को प्राथमिकता के आधार पर कराया जा रहा है और रिपोर्ट जल्द प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
    उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अगर किसी भी सैंपल में गुणवत्ता में गड़बड़ी पाई जाती है तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।


    बच्चों के लिए जारी हुई नई एडवाइजरी
    केंद्र सरकार ने भी राज्यों को सतर्क करते हुए निर्देश दिए हैं कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप न दिया जाए, जबकि चार साल से कम उम्र के बच्चों में इन दवाओं का प्रयोग करते समय विशेष सावधानी बरती जाए।
    उत्तराखंड सरकार ने इस संदर्भ में अपनी एडवाइजरी जारी करते हुए सभी डॉक्टरों, फार्मासिस्टों और अभिभावकों से अपील की है कि वे छोटे बच्चों को बिना चिकित्सकीय परामर्श के कफ सिरप न दें।


    दवा पैकेजिंग में अनिवार्य होगी चेतावनी
    एफडीए ने सभी दवा कंपनियों को निर्देश दिए हैं कि वे क्लोरफेनिरामिन मालीएट और फिनाइलएफ्रिन हाइड्रोक्लोराइड ड्रॉप्स के पैकेज और प्रचार सामग्री पर स्पष्ट चेतावनी अंकित करें।
    औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह ने कहा कि दवा पैकेट और इनसर्ट में यह लिखा होना चाहिए —

    “यह दवा चार वर्ष से कम उम्र के बच्चों को नहीं दी जानी चाहिए।”


    विशेषज्ञों ने बताए संभावित दुष्प्रभाव
    बाल रोग विशेषज्ञों के अनुसार, छोटे बच्चों में इन दवाओं के सेवन से कई हानिकारक प्रभाव देखे गए हैं।
    इनमें नींद आना, चक्कर, मुंह सूखना, थकान, सिरदर्द, दिल की धड़कन बढ़ना और ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव शामिल हैं।
    कुछ मामलों में बच्चों में बेचैनी, नींद न आना और अत्यधिक सुस्ती जैसी समस्याएं भी पाई गई हैं।


    राज्यभर में अभियान तेज, मेडिकल स्टोरों पर निगरानी
    एफडीए ने सभी जिलों में निरीक्षण अभियान शुरू कर दिया है। औषधि निरीक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी मेडिकल स्टोर या अस्पताल में यदि प्रतिबंधित सिरप मिलता है, तो तुरंत कार्रवाई की जाए।
    दवा कंपनियों को भी इन उत्पादों को बाजार से वापस मंगाने के आदेश दिए गए हैं।


    अपर आयुक्त ताजबर सिंह जग्गी की अपील — “माता-पिता सावधानी बरतें”
    ताजबर सिंह जग्गी ने कहा कि यह कदम बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।
    उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य है कि कोई भी बच्चा असुरक्षित दवा के कारण नुकसान न झेले। अभिभावक बच्चों को कोई भी कफ सिरप देने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।”


    निष्कर्ष: बच्चों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता
    उत्तराखंड सरकार का यह फैसला बच्चों की सेहत को लेकर सतर्क और जिम्मेदार प्रशासनिक कदम माना जा रहा है।
    राज्य में स्वास्थ्य विभाग ने यह साफ कर दिया है कि बच्चों के जीवन से कोई समझौता नहीं होगा।
    आने वाले दिनों में सभी दवा निर्माताओं के लिए सख्त मानक और चेतावनी लेबलिंग अनिवार्य की जाएगी ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

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