देहरादून, 28 जुलाई 2025
उत्तराखंड में धर्मांतरण की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि धर्मांतरण विरोधी कानून को और अधिक सख्त किया जाए, सजा की अवधि और जुर्माना दोनों को बढ़ाया जाए और “मिशन कालनेमि” के तहत संदिग्ध गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखी जाए।
धर्मांतरण पर जीरो टॉलरेंस नीति
मुख्यमंत्री धामी ने सोमवार को सचिवालय में शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक कर यह निर्णय लिया। उन्होंने कहा:
“उत्तराखंड सीमांत प्रदेश है और सनातन की पुण्य भूमि है। यहां जनसांख्यिकीय बदलाव की किसी भी साजिश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे मामलों पर स्थायी रूप से नियंत्रण रखने के लिए पुलिस मुख्यालय स्तर पर एक विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया जाएगा, जो मिशन कालनेमि की निगरानी करेगी।
कानून में क्या बदलाव होंगे?
वर्तमान में राज्य में धर्मांतरण के दोषी को:
- 10 साल तक की सजा
- ₹50,000 तक का जुर्माना
का प्रावधान है। लेकिन अब इसमें और भी कठोर दंड का प्रस्ताव लाया जा सकता है। गृह विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि मौजूदा कानूनों की समीक्षा कर इन्हें सशक्त और प्रभावी बनाया जाए।
पुलिस को सतर्कता के निर्देश
सीएम धामी ने पुलिस विभाग को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि:
- संदिग्ध गतिविधियों पर नज़र रखी जाए
- आम नागरिकों को परामर्श व सही जानकारी दी जाए
- धोखा देकर धर्म परिवर्तन कराने वालों को कानूनी शिकंजे में लिया जाए
मिशन कालनेमि: बदलाव का उपकरण
“मिशन कालनेमि” नामक अभियान, जो भेष बदलकर धर्मांतरण करने वाले तत्वों की पहचान और कार्रवाई के लिए शुरू किया गया था, अब और अधिक संगठित तरीके से आगे बढ़ाया जाएगा।
सीएम ने कहा:
“मिशन कालनेमि अब तक कारगर रहा है। इसे और प्रभावशाली बनाकर राज्य के हर कोने तक पहुंचाया जाएगा।”
सारांश:
- धर्मांतरण कानून होगा और सख्त
- सजा और जुर्माना दोनों बढ़ाए जाएंगे
- SIT का गठन, मिशन कालनेमि की निगरानी
- गृह विभाग करेगा कानूनों की समीक्षा
- पुलिस को मिली सख्ती से कार्रवाई की छूट