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उत्तराखंड में मूसलधार बारिश का कहर: ऑरेंज अलर्ट जारी, कई हाईवे बंद, अलकनंदा का जलस्तर खतरे के करीब

देहरादून, 11 अगस्त 2025 — उत्तराखंड में पहाड़ से मैदान तक लगातार तेज बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। मौसम विभाग ने भारी बारिश के मद्देनज़र भूस्खलन प्रभावित इलाकों में जाने से बचने की सख्त हिदायत दी है। कई जिलों में हाईवे बंद हैं, नदियों का जलस्तर बढ़ गया है और कई जगहों पर जलभराव की स्थिति बनी हुई है।

ऑरेंज और येलो अलर्ट

मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून ने बागेश्वर जिले के कुछ हिस्सों में भारी से भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। वहीं, देहरादून, टिहरी, पौड़ी और नैनीताल के कुछ इलाकों में तेज बारिश के लिए येलो अलर्ट लागू है। विभाग ने अगले 3 घंटों के लिए रेड अलर्ट भी जारी किया है और 15 अगस्त तक पूरे प्रदेश में तेज दौर की बारिश की संभावना जताई है।
अल्मोड़ा, हरिद्वार, पौड़ी गढ़वाल, उधम सिंह नगर और नैनीताल में भूस्खलन का खतरा बरकरार है।

अलकनंदा का जलस्तर बढ़ा

श्रीनगर में अलकनंदा नदी का जलस्तर खतरे के करीब पहुंच गया है और पानी घाटों के किनारों तक बहने लगा है।

सड़क यातायात बाधित

  • कर्णप्रयाग में कमेड़ा गौचर स्लाइडिंग पर लगातार मलबा आने से सड़क मार्ग बंद है।
  • जखेड़, कर्णप्रयाग के पास, में भूस्खलन से गढ़वाल-कुमाऊं को जोड़ने वाला नैनीताल हाईवे बंद पड़ा है।
  • देर रात उमटा के पास भी मलबा आने से यातायात बाधित हुआ और एक टैक्सी वाहन मलबे में फंस गया।
  • पीपलकोटी के भनेर पानी में बदरीनाथ हाईवे रविवार शाम से बंद था, जिसे सोमवार सुबह 7:30 बजे खोल दिया गया। इसके बाद दोनों ओर फंसे करीब 1000 यात्रियों को सुरक्षित उनके गंतव्य भेजा गया।

यमुनोत्री पैदल मार्ग पर खतरा

जानकीचट्टी–यमुनोत्री पैदल मार्ग पर घिडिका के पास अचानक भूस्खलन हुआ, जिसमें लोग बाल-बाल बचे। यहां पत्थरों की चपेट में आने से एक खच्चर की मौत भी हो चुकी है। फिलहाल मार्ग बंद है और मरम्मत का कार्य जारी है।

देहरादून में जलभराव और नदियों का उफान

देहरादून में लगातार बारिश से दीपनगर रेलवे पुल के नीचे बहने वाली रिस्पना नदी का जलस्तर काफी बढ़ गया है। कई निचले इलाकों में जलभराव की समस्या है, जिससे लोगों को यातायात और दैनिक कार्यों में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में बारिश की तीव्रता बढ़ सकती है, इसलिए लोग सावधानी बरतें और अनावश्यक रूप से पहाड़ी और भूस्खलन संभावित क्षेत्रों की यात्रा न करें।

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