उत्तराखंड में शिक्षक और कर्मचारियों के वार्षिक तबादलों की प्रक्रिया में देरी और विभागीय लापरवाही के कारण कर्मचारियों में नाराजगी बढ़ रही है। तबादला अधिनियम 2017 के तहत निर्धारित समय-सारणी के अनुसार, 10 जून तक तबादला आदेश जारी किए जाने थे, लेकिन विभागों की ओर से आधी-अधूरी तैयारी के कारण यह आदेश अब तक जारी नहीं हो पाए हैं।
तबादला अधिनियम 2017 के तहत समय-सारणी:
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31 मार्च तक: कार्यस्थलों का चिन्हीकरण।
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1 अप्रैल: तबादला समितियों का गठन।
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15 अप्रैल: कार्यस्थलों, रिक्त पदों और पात्र कर्मचारियों की सूची वेबसाइट पर अपलोड।
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20 अप्रैल: कर्मचारियों से 10 इच्छित स्थानों के लिए विकल्प मांगना।
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30 अप्रैल: अनुरोध पर तबादले के लिए आवेदन आमंत्रित करना।
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15 मई: विकल्प/आवेदन प्राप्त करना।
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20 मई: विकल्प/आवेदन का विवरण वेबसाइट पर सार्वजनिक करना।
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25 मई से 5 जून: तबादला समितियों द्वारा सिफारिश भेजना।
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10 जून: तबादला आदेश जारी करना।
हालांकि, विभिन्न विभागों की ओर से इन प्रक्रियाओं का पालन ठीक से नहीं किया गया है, जिसके कारण तबादला आदेश अब तक जारी नहीं हो पाए हैं।
शिक्षकों की नाराजगी और आगामी कदम:
राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष राम सिंह चौहान ने कहा कि “तबादले शिक्षकों का अधिकार है, हर हाल में तबादले होने चाहिए।” उन्होंने यह भी घोषणा की कि 16 जून को प्रदेशभर के शिक्षक देहरादून पहुंचेंगे और शिक्षा निदेशालय में धरना देंगे।
निष्कर्ष:
उत्तराखंड में शिक्षक और कर्मचारियों के तबादलों की प्रक्रिया में देरी और विभागीय लापरवाही के कारण कर्मचारियों में नाराजगी बढ़ रही है। यदि समय रहते तबादला आदेश जारी नहीं किए जाते, तो कर्मचारियों द्वारा आंदोलन की संभावना जताई जा रही है।