दरअसल, सहस्रधारा में शुरू से स्थानीय ग्रामीण और व्यापारी मनमानी पूर्वक पर्यटकों से प्रवेश शुल्क वसूलते रहे हैं। लेकिन पर्यटन विभाग ने सहस्रधारा में पर्यटकों की सुविधा के लिए निर्माण कार्य, प्रकाश और पार्किंग आदि की व्यवस्था करने के बाद साल 2024 में इसे अपने नियंत्रण में ले लिया।
विभाग ने पर्यटकों को सुविधाएं देने और वहां कर्मचारियों की नियुक्ति करने के लिए प्रवेश वसूलने की योजना बनायी। इसके लिए विभाग ने टेंडर प्रक्रिया की। एक ठेकेदार ने 53 लाख रुपये में साल 2028 तक के लिए सहस्रधारा का टेंडर लिया। लेकिन एक साल होने के बावजूद स्थानीय ग्रामीण ठेकेदार को पर्यटकों से वसूलने नहीं दे रहे हैं। जबकि प्रशासन और पर्यटन विभाग ने करीब चार बार स्थानीय ग्रामीण व व्यापारियों के साथ बैठक की। लेकिन अब तक इसका कोई हल नहीं निकला।

जिला पर्यटन विकास अधिकारी सीमा नौटियाल ने बताया कि हाल ही में सहस्रधारा के ग्रामीण-व्यापारियों के साथ प्रशासन के समक्ष बैठक हुई। प्रशासन के निर्देश पर पर्यटकों की सुविधा के लिए जल्द ही वहां कर्मचारियों की नियुक्ति की जाएगी।