देहरादून | उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPCL) में जारी की गई सहायक अभियंताओं की वरिष्ठता सूची को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। मंगलवार को इस विवाद ने उग्र रूप धारण कर लिया जब नाराज जूनियर इंजीनियरों ने अधिशासी निदेशक आर.जे. मलिक को उनके कार्यालय में तीन घंटे तक बंधक बना लिया। यह विरोध पावर जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन के आह्वान पर हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में डिप्लोमा धारक पदोन्नत एई मुख्यालय पहुंचे और निदेशक कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए।
सूत्रों के मुताबिक, यह विवाद पिछले 19 वर्षों से लंबित था, और हाल ही में जारी की गई सूची ने जूनियर इंजीनियरों के आक्रोश को हवा दे दी। उनका आरोप है कि प्रबंधन ने 2010 में सीधी भर्ती से नियुक्त इंजीनियरों को 2008 की वरिष्ठता सूची में शामिल कर दिया, जो नियमों के विरुद्ध है। दिनभर यूपीसीएल मुख्यालय में हंगामा और धरना जारी रहा, और शाम को बड़ी मुश्किल से अधिशासी निदेशक मलिक कार्यालय से बाहर निकल पाए।
प्रबंधन का पक्ष:
यूपीसीएल प्रबंधन का कहना है कि यह सूची राज्य सरकार के निर्देशों पर गठित उच्चस्तरीय समिति की रिपोर्ट पर आधारित है। इस समिति में प्रमुख सचिव ऊर्जा आर. मीनाक्षी सुंदरम सहित विधि, कार्मिक और ऊर्जा विभाग के अपर सचिव शामिल थे। समिति ने रोटा-कोटा सिद्धांत के तहत अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, जिस पर मुख्य सचिव और यूपीसीएल के अध्यक्ष आनंद बर्द्धन ने कार्रवाई के निर्देश दिए।
तकनीकी विवाद:
विवाद का केंद्र रोटा-कोटा का वह नियम है, जिसके अनुसार पदोन्नति प्रक्रिया में एक निर्धारित प्रतिशत तक सीधी भर्ती के अभियंताओं को भी शामिल करना आवश्यक होता है। जूनियर इंजीनियरों का कहना है कि बाद में नियुक्त अभियंताओं को वरिष्ठता नहीं दी जा सकती, जबकि प्रबंधन इसे वैधानिक और न्यायसंगत ठहरा रहा है।
सीधी भर्ती अभियंताओं की प्रतिक्रिया:
इस सूची को लेकर उत्तरांचल पावर इंजीनियर एसोसिएशन ने राज्य सरकार और यूपीसीएल प्रबंधन का आभार व्यक्त किया है। महासचिव राहुल चानना ने इसे न्याय की जीत बताया और कहा कि वर्षों से पदोन्नति की प्रतीक्षा कर रहे सीधी भर्ती एई को अब उनका हक मिल रहा है। एसोसिएशन ने डीपीसी प्रक्रिया को शीघ्र पूरा करने की मांग की है।
मामला कोर्ट में:
विवादित पदोन्नतियों के खिलाफ पहले ही हाईकोर्ट में मामला विचाराधीन है। सीधी भर्ती अभियंताओं का आरोप है कि जब यह पदोन्नति दी गई, उस समय न तो संबंधित नियमावली लागू थी और न ही यूपीसीएल ने उसे अपनाया था। उन्होंने यह भी कहा कि पहले जेई को छह साल सेवा और चार साल चयन ग्रेड की सेवा के बाद ही एई पद पर पदोन्नति मिलती थी, जिसे अब समाप्त कर दिया गया है।
जल्द कोर्ट जाएगी एसोसिएशन:
जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन ने वरिष्ठता सूची को चुनौती देने की तैयारी कर ली है। संगठन के पदाधिकारियों के मुताबिक, याचिका दाखिल करने के लिए एक टीम नैनीताल रवाना कर दी गई है और जल्द ही मामला हाईकोर्ट में दाखिल किया जाएगा।
निष्कर्ष:
यूपीसीएल में वर्षों से लंबित वरिष्ठता विवाद एक बार फिर उबाल पर है। जहां एक ओर सीधी भर्ती अभियंता इसे न्याय की जीत मान रहे हैं, वहीं डिप्लोमा इंजीनियरों के लिए यह सूची अन्याय का प्रतीक बन गई है। अब सभी की नजरें हाईकोर्ट के संभावित हस्तक्षेप पर टिकी हैं।
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