देहरादून, 20 अगस्त: उत्तराखंड विधानसभा में मंगलवार को सरकार ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) संशोधन अधिनियम 2025 सदन में प्रस्तुत कर दिया। यह अधिनियम बुधवार को पारित हो जाएगा। नए बदलावों में विवाह पंजीकरण की समय सीमा बढ़ाने से लेकर लिव-इन रिलेशनशिप में धोखाधड़ी करने वालों को कड़ी सजा देने तक कई सख्त प्रावधान शामिल किए गए हैं।
विवाह पंजीकरण की समय सीमा बढ़ी
नए अधिनियम के तहत अब विवाह पंजीकरण कराने की समय सीमा छह महीने से बढ़ाकर एक साल कर दी गई है। यह संशोधन 26 मार्च 2020 से अधिनियम लागू होने की तारीख से प्रभावी होगा। समय सीमा समाप्त होने के बाद पंजीकरण न कराने पर जुर्माना और दंड का प्रावधान भी किया गया है।
बल, दबाव और धोखाधड़ी से सहवास संबंध पर सख्त सजा
यूसीसी की धारा 387 में संशोधन करते हुए प्रावधान जोड़ा गया है कि यदि कोई व्यक्ति बल, दबाव या धोखाधड़ी से सहमति प्राप्त कर सहवास संबंध स्थापित करता है, तो उसे सात साल तक की कैद और जुर्माने की सजा दी जाएगी।
शादीशुदा होकर लिव-इन में रहने पर दंड
संशोधित अधिनियम में धारा 380(2) जोड़ी गई है। इसके अनुसार, यदि कोई पहले से शादीशुदा व्यक्ति धोखे से लिव-इन रिलेशनशिप में रहता है, तो उसे भी सात साल की सजा और जुर्माना भुगतना होगा। हालांकि यह प्रावधान उन पर लागू नहीं होगा, जिन्होंने लिव-इन रिलेशन समाप्त कर दिया हो या जिनके साथी का सात वर्ष या उससे अधिक समय से कोई पता न हो।
इसके अलावा, यदि पूर्ववर्ती विवाह को कानूनी रूप से समाप्त किए बिना कोई व्यक्ति लिव-इन में रहता है, तो उसे भारतीय न्याय संहिता की धारा 82 के तहत सजा मिलेगी। इसके अंतर्गत सात साल की कैद और जुर्माने का प्रावधान है।
दो नई धाराओं की स्थापना
संशोधन में दो नई धाराएं भी जोड़ी गई हैं—
- धारा 390-क: विवाह, तलाक, लिव-इन रिलेशनशिप या उत्तराधिकार से जुड़े किसी पंजीकरण को निरस्त करने की शक्ति रजिस्ट्रार जनरल को दी जाएगी।
- धारा 390-ख: लगाए गए जुर्माने की वसूली भू-राजस्व बकाए की भांति की जाएगी और इसके लिए आरसी जारी की जाएगी।
त्रुटियों का भी सुधार
अधिनियम में पहले से मौजूद कई लिपिकीय त्रुटियों को भी ठीक किया गया है। जैसे, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के स्थान पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) लिखा गया है। वहीं, कई जगह जहां पैनल्टी की जगह ‘शुल्क’ लिखा गया था, उसे भी सुधारा गया है।