दिनांक : 3 नवम्बर 2025 | स्थान : देहरादून
देहरादून।
उत्तराखंड की स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने के ऐतिहासिक अवसर पर सोमवार को राज्य विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण से आरंभ हुआ। यह अवसर इसलिए भी खास रहा क्योंकि यह उत्तराखंड विधानसभा के इतिहास में दूसरा मौका था जब देश की राष्ट्रपति ने सदन को संबोधित किया। इससे पहले वर्ष 2015 में पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय प्रणव मुखर्जी ने विशेष सत्र में भाषण दिया था।
ऐतिहासिक दिन – रजत जयंती सत्र का शुभारंभ
तीन दिवसीय उत्तराखंड प्रवास के तहत राष्ट्रपति मुर्मू सोमवार सुबह विधानसभा पहुंचीं।
विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने उनका स्वागत करते हुए रम्माण कला पर आधारित स्मृति चिह्न भेंट किया।
राष्ट्रपति ने इसी कला पर आधारित एक पुस्तक का भी विमोचन किया।
इस दौरान सदन में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, राज्यपाल ले. जनरल गुरमीत सिंह (सेनि.), पूर्व मुख्यमंत्री, सांसद, विधायक और विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे।
राष्ट्रपति का अभिभाषण – “उत्तराखंड युवा ऊर्जा के साथ आगे बढ़े”
अपने संबोधन में राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि –
“उत्तराखंड राज्य की स्थापना की रजत जयंती पर लोकतंत्र के इस मंदिर में आकर मुझे अपार प्रसन्नता है। वर्ष 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी जी के कार्यकाल में इस राज्य की नींव रखी गई थी। पिछले 25 वर्षों में उत्तराखंड ने शिक्षा, ऊर्जा, पर्यावरण और पर्यटन के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है।”
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की जनता ने विकास की दिशा में अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं।
“महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार और सशक्तीकरण के प्रयास सराहनीय हैं। मुझे खुशी है कि राज्य में साक्षरता दर बढ़ी है और महिला सहभागिता ने समाज में नई ऊर्जा का संचार किया है।”
महिलाओं की गौरवशाली परंपरा पर गर्व
राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तराखंड की असाधारण महिलाओं – सुशीला बलूनी, बछेंद्री पाल और वंदना कटारिया – ने राज्य को गौरवान्वित किया है।
उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण का उल्लेख करते हुए कहा कि “उत्तराखंड ने पहली महिला विधानसभा अध्यक्ष नियुक्त कर अपने गौरव में नया अध्याय जोड़ा है।”
राष्ट्रपति ने उम्मीद जताई कि भविष्य में राज्य की विधानसभा में महिलाओं की संख्या और बढ़ेगी।
शौर्य और संस्कृति का संगम
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि उत्तराखंड की धरती ऋषि-मुनियों की तपोभूमि रही है और गढ़वाल रेजीमेंट यहां की शौर्य परंपरा का प्रतीक है।
उन्होंने समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने के लिए राज्य की सराहना करते हुए कहा कि यह उत्तराखंड की सशक्त लोकतांत्रिक दृष्टि का परिचायक है।
उन्होंने यह भी बताया कि अब तक राज्य विधानसभा में 550 से अधिक विधेयक पारित हो चुके हैं, जिनमें लोकायुक्त विधेयक, नकलरोधी कानून और जमींदारी उन्मूलन विधेयक प्रमुख हैं।
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य का संबोधन
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने राष्ट्रपति का स्वागत करते हुए कहा कि उत्तराखंड की धरती बलिदान और प्रकृति प्रेम की मिसाल रही है।
उन्होंने राज्य आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि –
“हमारा राज्य हिमालय और वनों की गोद में बसा है, जहां की महिलाएं प्रकृति को अपनी मां समान मानती हैं। परंतु अब भी कई गांव वन अधिकारों से वंचित हैं, और तकनीकी शिक्षा तथा स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की आवश्यकता है।”
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का स्वागत भाषण
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राष्ट्रपति का देवभूमि आगमन राज्य के लिए गौरव का क्षण है।
उन्होंने कहा कि –
“उत्तराखंड आंदोलन के ज्ञात-अज्ञात सभी वीरों के बलिदान से यह राज्य अपने 25 वर्ष पूरे कर सका है। अब हमारा लक्ष्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ‘विकसित उत्तराखंड’ का निर्माण करना है।”
सीएम ने राज्य की बेटियों की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा कि महिलाएं आज हर क्षेत्र में नई प्रेरणा बन रही हैं।
राज्यपाल गुरमीत सिंह का अभिभाषण – ‘विकास और संवेदना की दिशा में आगे बढ़े राज्य’
राज्यपाल ले. जन. गुरमीत सिंह ने राष्ट्रपति का आभार जताते हुए कहा कि –
“देवभूमि के प्रति आपके स्नेह और मार्गदर्शन से हमें नई प्रेरणा मिलती है। यह सत्र राज्य के भविष्य के लिए एक मजबूत रोडमैप तैयार करेगा।”
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड ने 25 वर्षों में पर्यटन, शिक्षा और सामाजिक उत्थान में उल्लेखनीय कार्य किए हैं।
उनका कहना था कि “विकसित उत्तराखंड का अर्थ केवल आर्थिक प्रगति नहीं बल्कि प्रकृति और प्रगति का संतुलन है।”
नए संकल्पों के साथ आगे बढ़ेगा उत्तराखंड
इस विशेष सत्र में राज्य सरकार आने वाले 25 वर्षों के लिए विकास का “रोडमैप” प्रस्तुत करेगी।
इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, पर्यटन और पलायन रोकने जैसी प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा होगी।
राष्ट्रपति के अभिभाषण ने पूरे सदन में नई ऊर्जा और सकारात्मक दिशा का संदेश दिया।
निष्कर्ष
रजत जयंती के अवसर पर आयोजित यह विशेष सत्र उत्तराखंड की विकास यात्रा का प्रतीक रहा।
पिछले 25 वर्षों में राज्य ने अनेक उपलब्धियां अर्जित की हैं, और अब लक्ष्य है – “विकसित, समृद्ध और सशक्त उत्तराखंड” का निर्माण।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शब्दों में –
“यह राज्य युवा ऊर्जा, मातृशक्ति और शौर्य की भूमि है — और आने वाले 25 वर्ष उत्तराखंड को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने का अवसर हैं।”



