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उत्तराखंड रजत जयंती समारोह: देहरादून में बोले प्रधानमंत्री मोदी, कहा—“आध्यात्मिक शक्ति ही उत्तराखंड की असली पहचान”

 

दिनांक: 9 नवम्बर 2025
स्थान: देहरादून, उत्तराखंड

देहरादून स्थित एफआरआई (FRI) परिसर रविवार को उत्तराखंड की रजत जयंती उत्सव का गवाह बना, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य की 25 वर्ष की विकास यात्रा को नए आयाम देने का संदेश दिया। पीएम ने 28 मिनट के संबोधन में बीते वर्षों की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए भविष्य की दिशा भी तय की।


उत्सव में पीएम मोदी का संबोधन

प्रधानमंत्री मोदी ने कार्यक्रम की शुरुआत उत्तराखंड की बोली में जनसंवाद से की— “देवभूमि उत्तराखंड का मेरा भै बंधु, दीदी, भुलियों, दाना सयानो, आप सबू तै म्यारू नमस्कार।”
उन्होंने कहा कि 9 नवंबर का दिन उत्तराखंडवासियों की लंबी तपस्या का परिणाम है और राज्य निर्माण के शहीदों का बलिदान सदैव प्रेरणा देता रहेगा।


राज्य निर्माण से अब तक की विकास यात्रा

पीएम ने बताया कि जब उत्तराखंड नया राज्य बना, तब संसाधन सीमित थे और ज्यादातर जरूरतें केंद्र की सहायता से पूरी होती थीं। आज तस्वीर बदली है और राज्य आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़ रहा है।
उन्होंने 8260 करोड़ रुपये लागत की 31 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास भी किया।


अगले 25 वर्षों का रोडमैप: आध्यात्मिक राजधानी बनने का लक्ष्य

प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की मूल पहचान उसकी आध्यात्मिक ऊर्जा है।
अगर राज्य ठान ले, तो आने वाले कुछ वर्षों में वह विश्व की आध्यात्मिक राजधानी के रूप में उभर सकता है।
योग, ध्यान, आश्रम और आध्यात्मिक पर्यटन को वैश्विक नेटवर्क से जोड़ने की संभावनाओं पर उन्होंने विशेष जोर दिया।


फिल्म और वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में उभरता उत्तराखंड

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड तेजी से फिल्म डेस्टिनेशन बन रहा है और वेड इन इंडिया के तहत इसे भव्य वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में भी विकसित किया जा सकता है।
राज्य के बेडू फल और बद्री गाय के घी को मिला जीआई टैग यहां की स्थानीय पहचान को और मजबूत करेगा।


‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ और स्वरोजगार के नए अवसर

पीएम ने बताया कि हाउस ऑफ हिमालयाज ब्रांड के माध्यम से स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में नया मंच मिला है।
डबल इंजन सरकार ने विकास की बाधाएं हटाकर उत्तराखंड की क्षमताओं को नई गति दी है।


एक जिला–एक मेला: संस्कृति और पर्यटन का बड़ा विजन

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उत्तराखंड की आत्मा उसके त्योहारों और मेलों में बसती है।
उन्होंने एक जिला–एक मेला (One District, One Fair) अभियान का मंत्र देते हुए कहा कि हरेला, फुलदेई, नंदा देवी मेला, जौलजीवी, बागेश्वर उत्तरायणी, देवीधुरा और बटर फेस्टिवल जैसे पारंपरिक आयोजनों को वैश्विक पहचान दी जा सकती है।


योग, आयुर्वेद और होमस्टे को हर विधानसभा में विकसित करने की जरूरत

पीएम ने प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में योग, आयुर्वेद, नेचुरोपैथी और होमस्टे विकसित करने पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तहत सीमांत गांवों को छोटे पर्यटन केंद्र बनाया जा सकता है।
स्थानीय व्यंजन—डुबके, चुटकानी, रोट, अरसा और झंगोरा की खीर—पर्यटकों को अनुभवात्मक यात्रा का अहसास कराएंगे और वे बार-बार उत्तराखंड लौटेंगे।


नई खेती, नई दिशा—कीवी, हर्बल और एरोमा फार्मिंग

प्रधानमंत्री ने बताया कि हर जिले में कीवी, हर्बल और एरोमा की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।
यह भविष्य की कृषि अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव ला सकती है।


ईको और एडवेंचर टूरिज्म: आर्थिक प्रगति का नया इंजन

शीतकालीन पर्यटन की शुरुआत को प्रधानमंत्री ने बड़ी उपलब्धि बताया।
उन्होंने कहा कि बीते तीन वर्षों में आदि कैलाश आने वाले पर्यटकों की संख्या 2000 से बढ़कर 30,000 पहुंच चुकी है।
इसी तरह, बाबा केदारनाथ धाम में श्रद्धालुओं की संख्या 17 लाख तक पहुंचना उत्तराखंड की आस्था और पर्यटन क्षमता का प्रमाण है।


कार्यक्रम में बड़ी उपस्थिति

समारोह में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि.), मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा, विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, कैबिनेट मंत्री, कई पूर्व मुख्यमंत्री, सांसद और विधायक शामिल हुए।


निष्कर्ष

उत्तराखंड की रजत जयंती समारोह न केवल एक उत्सव था, बल्कि उत्तराखंड के अगले 25 वर्षों का संकल्प भी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य की आध्यात्मिक शक्ति, सांस्कृतिक विरासत, पर्यटन क्षमता और स्थानीय उत्पादों को वैश्विक मंच पर ले जाने की रणनीति प्रस्तुत की।
केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से उत्तराखंड को विकास, पर्यटन और आध्यात्मिकता के नए शिखर तक ले जाने का लक्ष्य तय किया गया।

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