तारीख: 14 अक्टूबर 2025 | स्थान: देहरादून, उत्तराखंड
समान नागरिक संहिता के तहत राहत, पंजीकरण में खत्म होगी बाधा
उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता (UCC) के तहत एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब नेपाल, भूटान और तिब्बत मूल के नागरिकों को विवाह पंजीकरण के दौरान आधार कार्ड प्रस्तुत करना अनिवार्य नहीं होगा। इसके स्थान पर वे अपनी नागरिकता या पंजीकरण प्रमाणपत्र प्रस्तुत कर सकेंगे।
यह निर्णय उन लोगों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, जो राज्य में बसे विदेशी मूल के व्यक्तियों से विवाह करते हैं और आधार कार्ड की शर्त के कारण विवाह पंजीकरण नहीं करा पा रहे थे।
कैबिनेट ने दी आधार कार्ड की अनिवार्यता में छूट
उत्तराखंड कैबिनेट ने विवाह पंजीकरण प्रक्रिया में आ रही इस समस्या को दूर करने के लिए नियमों में संशोधन को मंजूरी दे दी है। अब नेपाल और भूटान के नागरिक विवाह पंजीकरण के समय आधार कार्ड के स्थान पर अपनी नागरिकता प्रमाण पत्र और भारत में 182 दिनों से अधिक प्रवास के प्रमाण के रूप में नेपाली मिलन या रॉयल भूटानी मिशन का प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर सकेंगे।
वहीं तिब्बती मूल के नागरिकों को आधार कार्ड की जगह विदेशी पंजीकरण अधिकारी द्वारा जारी वैध पंजीकरण पत्र प्रस्तुत करने की अनुमति दी गई है।
सरकार करेगी पोर्टल में आवश्यक संशोधन
राज्य के गृह विभाग ने बताया कि विवाह पंजीकरण से संबंधित ऑनलाइन पोर्टल में भी आवश्यक तकनीकी संशोधन किए जा रहे हैं ताकि नेपाली, भूटानी और तिब्बती नागरिक अपने दस्तावेजों के माध्यम से आसानी से पंजीकरण करा सकें।
उत्तराखंड की सीमाएँ नेपाल से जुड़ी हैं और दोनों क्षेत्रों के बीच सामाजिक, सांस्कृतिक और पारिवारिक संबंध बेहद गहरे हैं। इसी तरह भूटान और तिब्बती समुदाय के भी बड़ी संख्या में लोग राज्य में निवास करते हैं। ऐसे में यह निर्णय सीमांत क्षेत्रों में रहने वाले हजारों लोगों को सीधा लाभ देगा।
प्रदेश में लागू हो चुकी है समान नागरिक संहिता
उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है जहाँ समान नागरिक संहिता लागू की गई है। इसके तहत विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और दत्तक ग्रहण से संबंधित नियम एक समान कर दिए गए हैं। विवाह पंजीकरण के समय अब तक दोनों पक्षों के आधार कार्ड की अनिवार्यता थी, जिससे विदेशी नागरिकों से विवाह करने वाले उत्तराखंडी नागरिकों को दिक्कतें हो रही थीं।
कैबिनेट के प्रमुख निर्णय
राज्य सरकार की बैठक में विवाह पंजीकरण से जुड़ी छूट के अलावा कई अन्य महत्वपूर्ण फैसले भी लिए गए—
- महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास अधीनस्थ सुपरवाइजर सेवा नियमावली में संशोधन को मंजूरी।
- देहरादून रायपुर क्षेत्र को फ्रीज जोन से आंशिक राहत; छोटे आवास और दुकानों के निर्माण की अनुमति।
- स्वास्थ्य कार्यकर्ता और स्वास्थ्य पर्यवेक्षक को सेवाकाल में एक बार जिला बदलने का अवसर।
- राज्य कर्मचारियों की पदोन्नति नियमावली में शिथिलीकरण का निर्णय।
- राज्य स्थापना के रजत जयंती वर्ष पर दो दिवसीय विशेष सत्र आयोजित किया जाएगा, तिथि तय करने का अधिकार मुख्यमंत्री को दिया गया।
- राज्य के सार्वजनिक उपक्रमों को अपने लाभांश का 15 प्रतिशत राज्य सरकार को देना होगा।
निष्कर्ष:
उत्तराखंड सरकार का यह निर्णय सीमांत और बहुसांस्कृतिक समाज को ध्यान में रखते हुए लिया गया एक संतुलित और व्यावहारिक कदम है। इससे नेपाली, भूटानी और तिब्बती नागरिकों को विवाह पंजीकरण में अब किसी प्रकार की कानूनी दिक्कत नहीं होगी। साथ ही, यह फैसला समान नागरिक संहिता को अधिक समावेशी और लागू करने योग्य बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।