देहरादून/हल्द्वानी, 23 जुलाई
उत्तराखंड सरकार ने मरीजों के साथ आने वाले परिजनों के लिए बड़ी राहत की घोषणा की है। अब राजकीय मेडिकल कॉलेज देहरादून और हल्द्वानी में इलाज के लिए आने वाले मरीजों के तीमारदारों को ठहरने, भोजन और अन्य आवश्यक सुविधाएं बेहद कम दरों पर मिलेंगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में बुधवार को सचिवालय में चिकित्सा शिक्षा विभाग और सेवादान आरोग्य संस्था के बीच इस संबंध में एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए।
क्या मिलेगा विश्राम गृह में?
विश्राम गृह में तीमारदारों के लिए ठहरने, बैठने, पीने के पानी, स्वच्छ शौचालय, नाश्ते और भोजन जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। सरकार का उद्देश्य है कि मरीजों के इलाज के दौरान परिजनों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
भोजन और रहने की दरें – जानिए कितना होगा खर्च
सुविधा | दरें |
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नाश्ता | ₹20 प्रति व्यक्ति |
दोपहर/रात्रि भोजन | ₹35 प्रति व्यक्ति |
10-बेड शयनागार (5 कमरे) | ₹55 प्रति बिस्तर |
8-बेड शयनागार (2 कमरे) | ₹55 प्रति बिस्तर |
6-बेड शयनागार (5 कमरे) | ₹75 प्रति बिस्तर |
डबल बेड (33 कमरे) | ₹330 प्रति कक्ष |
डबल बेड एसी कमरे (8 कमरे) | ₹850 प्रति कक्ष |
4-बेड कमरे (36 कमरे) | ₹75 प्रति बिस्तर |
कहां बनेगा विश्राम गृह और कितनी जगह दी गई?
- देहरादून मेडिकल कॉलेज: 1750 वर्गमीटर भूमि
- हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज: 1400 वर्गमीटर भूमि
- दोनों स्थानों पर कुल 350 बिस्तरों की क्षमता वाले विश्राम गृह बनाए जाएंगे।
- एमओयू की अवधि 20 साल के लिए तय की गई है।
किच्छा एम्स सैटेलाइट सेंटर में भी योजना लागू होगी
मुख्यमंत्री धामी ने इस योजना को किच्छा स्थित एम्स सैटेलाइट सेंटर में भी शुरू करने का सुझाव दिया, जिस पर सेवादान आरोग्य संस्था ने सहमति जता दी है।
क्या बोले स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत
“सरकार सिर्फ मरीजों की नहीं, बल्कि उनके तीमारदारों की तकलीफ को भी गंभीरता से समझती है। कई बार अस्पतालों में दिन-रात बैठने वाले परिजन ठहरने और खाने की परेशानी झेलते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है।”
इस मौके पर मौजूद रहे:
- डॉ. धन सिंह रावत (स्वास्थ्य मंत्री)
- डॉ. आर. राजेश कुमार (सचिव, स्वास्थ्य)
- विनय शंकर पांडे (सचिव)
- डॉ. आशुतोष सयाना (निदेशक, चिकित्सा शिक्षा)
- अभिषेक सक्सेना, आनंद सिंह बिसेन, अमित दास (सेवादान आरोग्य संस्था)
यह योजना उत्तराखंड सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं को और मानवीय बनाने की दिशा में एक सराहनीय कदम है, जो मरीजों और उनके परिजनों दोनों के लिए राहत लेकर आएगी।