BREAKING

उत्तराखंड स्कॉलरशिप घोटाला: मदरसों और अल्पसंख्यक विद्यालयों में छात्रवृत्ति वितरण पर उठे सवाल, सीएम धामी ने दिए सख्त जांच के आदेश

देहरादून | 17 जुलाई 2025

उत्तराखंड में राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल के तहत मदरसों और अल्पसंख्यक स्कूलों को मिलने वाली स्कॉलरशिप में बड़े पैमाने पर धांधली का मामला सामने आया है। इस मामले में सरस्वती शिशु मंदिर, ऊधम सिंह नगर को “अल्पसंख्यक संस्थान” बताकर 154 छात्रों के नाम पर छात्रवृत्ति का आवेदन किया गया है।

इस संवेदनशील और गंभीर घोटाले का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विशेष जांच दल (SIT) गठित करने और दो सप्ताह में विस्तृत रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं।


क्या है मामला?

  • अल्पसंख्यक संस्थान बताकर फर्जी स्कॉलरशिप का आवेदन
  • सरस्वती शिशु मंदिर, ऊधम सिंह नगर को अल्पसंख्यक स्कूल घोषित किया गया, जबकि यह वास्तव में ऐसा नहीं है
  • स्कूल के संचालक मोहम्मद अतीक ने 154 बच्चों के नाम पर छात्रवृत्ति आवेदन किया
  • राष्ट्रीय पोर्टल पर वर्ष 2021–22 और 2022–23 की जानकारी में भारी अनियमितता पाई गई

जिन संस्थानों की होगी गहन जांच:

संस्थान का नाम छात्र संख्या संचालक
नेशनल अकादमी जेएमवाईआइएचएस, काशीपुर125 छात्रगुलशफा अंसारी
मदरसा अल जामिया उल मदरिया27 छात्रमोहम्मद फैजान
मदरसा अल्बिया, बाजपुर39 छात्रजावेद अहमद
मदरसा जामिया आलिया, गदरपुर29 छात्रजावेद अहमद
मदरसा जामिया राज उल अलूम85 छात्रइरशाद अली

कुल मिलाकर, 6 शिक्षण संस्थानों के 456 छात्रों के दस्तावेज संदेह के घेरे में हैं।


मुख्यमंत्री धामी का सख्त रुख:

“देवभूमि में भ्रष्टाचार किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं होगा।”
पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री उत्तराखंड

मुख्यमंत्री ने विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते को मामले की सम्पूर्ण जांच का जिम्मा सौंपा है। जांच के लिए ऊधम सिंह नगर की अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी नंदिनी सिंह को नामित किया गया है। उन्हें 14 दिन में रिपोर्ट सौंपनी होगी।


संभावित घोटाले के संकेत:

  • स्कॉलरशिप योजना में “फर्जी छात्र और संस्थान” जोड़े गए
  • कई मामलों में पता, जाति और स्कूल पहचान में विसंगतियां
  • केंद्र सरकार को भी रिपोर्ट भेजी जा रही है, ताकि अगली किश्तों का वितरण रोका जा सके

न्यूज पोर्टल विशेष विश्लेषण:

उत्तराखंड में छात्रवृत्ति योजना का यह मामला न सिर्फ वित्तीय अनियमितता है, बल्कि यह उन जरूरतमंद छात्रों के अधिकारों का सीधा हनन है, जो इस स्कॉलरशिप पर निर्भर रहते हैं।

अगर यह मामला सच साबित होता है, तो यह एक संगठित स्कॉलरशिप सिंडिकेट की ओर इशारा कर सकता है, जिसमें शैक्षणिक संस्थान, संचालक और पोर्टल के डेटा हैंडलिंग सिस्टम की मिलीभगत शामिल हो सकती है।


अब आगे क्या?

  • 2 हफ्ते के भीतर जांच रिपोर्ट राज्य सरकार के पास पहुंचेगी
  • दोषियों के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज होने की संभावना
  • भविष्य में स्कॉलरशिप वितरण के लिए नई निगरानी प्रणाली बनाई जा सकती है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *