देहरादून, 12 जून 2025
उत्तराखंड में कृषि मेले को लेकर सामने आया टेंडर घोटाला एक बार फिर सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। राज्य कृषि विभाग द्वारा आयोजित किए जा रहे “एग्री मित्र उत्तराखंड 2025” मेले को लेकर हुए इस खुलासे ने शासन से लेकर प्रशासन तक में खलबली मचा दी है।
रात 9:30 बजे टेंडर खुलना था, लेकिन 3 दिन पहले शुरू हो चुका था काम
11 जून की रात को सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो ने पूरे मामले की परतें खोल दीं। वीडियो में यह साफ दिखा कि गढ़ी कैंट, देहरादून स्थित महिंद्रा ग्राउंड पर कृषि मेले की तैयारियां ज़ोरों पर चल रही थीं—जबकि टेंडर तो तकनीकी तौर पर उसी रात 9:30 बजे खुलने वाला था।
ऐसे में यह सवाल उठना लाज़मी है कि यदि टेंडर जारी ही नहीं हुआ था, तो काम कैसे और किसके आदेश पर शुरू हो गया?
बॉबी पंवार और त्रिभुवन चौहान की मौके पर दबिश
उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा के अध्यक्ष बॉबी पंवार और उपाध्यक्ष त्रिभुवन चौहान को जैसे ही घोटाले की भनक लगी, वे रात को ही मौके पर पहुंच गए। वहां चल रहे निर्माण कार्य, भारी मशीनरी और मज़दूरों की उपस्थिति को देखकर उन्होंने अधिकारियों को आड़े हाथों लिया।
मौके पर मौजूद ठेकेदार को जब इस दबिश की खबर लगी, तो रातोंरात मजदूरों और सामग्री को हटाकर मैदान को खाली करवा दिया गया। कई टेंट, स्टेज और उपकरणों के गायब होने की बात सामने आई—जिसकी अनुमानित लागत करोड़ों में बताई जा रही है।
कृषि निदेशक ने दी गोलमोल सफाई, मंत्री का मौन चौंकाने वाला
जब बॉबी पंवार ने कृषि विभाग के निदेशक से संपर्क किया, तो उन्हें स्पष्ट जवाब देने की बजाय गोलमोल बातें सुनने को मिलीं। यह और भी ज्यादा संदेह पैदा करता है कि विभाग के शीर्ष अधिकारियों को या तो घोटाले की जानकारी थी, या वे किसी दबाव में थे।
बॉबी पंवार ने स्पष्ट शब्दों में कहा:
“यह पूरी टेंडर प्रक्रिया केवल दिखावा है। जिस ठेकेदार को कार्य सौंपा गया, वह पहले ही तैयारियों में जुटा था। यह तय प्रक्रिया का सरासर उल्लंघन है और इसमें मंत्री स्तर तक की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता।”
सरकार बैकफुट पर — रद्द करना पड़ा मेला
इस घोटाले की खबर सोशल मीडिया से होते हुए मीडिया और राजनीतिक गलियारों तक पहुंची, और 14 जून को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा उद्घाटन किए जाने वाले मेले को रद्द करना पड़ा। यह मेला प्रदेश के विवादित मंत्री गणेश जोशी के विधानसभा क्षेत्र में हो रहा था—और अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह ‘मैनेज्ड टेंडर’ मंत्री के संरक्षण में हुआ?
पुलिस ने कार्रवाई से किया इनकार, न्यायालय में जाने की तैयारी
बॉबी पंवार और त्रिभुवन चौहान ने इस घोटाले की जानकारी गढ़ी कैंट थाने को देते हुए मैदान से माल जब्त करने की मांग की, लेकिन उन्हें यह कहकर लौटा दिया गया कि यह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए त्रिभुवन चौहान ने कहा:
“यह एक टेंडर का मामला नहीं है, यह प्रदेश में संस्थागत भ्रष्टाचार की मजबूत होती जड़ें हैं। अब यह केस उत्तराखंड हाईकोर्ट में ले जाया जाएगा ताकि दोषियों को बेनकाब किया जा सके।”
“किसानों के हक का आयोजन बना भ्रष्टाचार का अड्डा”
बॉबी पंवार और त्रिभुवन चौहान ने मेले के रद्द होने पर अफसोस जताया, लेकिन साथ ही कहा कि अगर यह आयोजन इसी तरह भ्रष्टाचार में डूबा रहता, तो किसानों का विश्वास पूरी तरह टूट जाता।
“ऐसे आयोजन किसानों के लिए प्रेरणा बनने चाहिए थे, लेकिन सत्ता की मिलीभगत और अफसरशाही की मिलीभगत ने इसे सिर्फ कमीशनखोरी का जरिया बना दिया।”
अब देखना यह होगा कि सरकार इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करवा पाती है या नहीं, या फिर यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह फाइलों में दबा दिया जाएगा।
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