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केदारनाथ आपदा को 12 साल, 702 डीएनए नमूने अब भी अपनों के इंतजार में – पहचान आज भी रहस्य बनी हुई

स्थान: देहरादून |  तारीख: 18 जून 2025

केदारनाथ आपदा को बीते 12 वर्ष हो चुके हैं, लेकिन इस भीषण त्रासदी में मारे गए सैकड़ों लोगों की पहचान अब भी अंधेरे में है। 15-16 जून 2013 की विनाशकारी रात ने उत्तराखंड ही नहीं, पूरे देश को हिला दिया था। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 4400 से अधिक लोग इस आपदा में मारे गए या लापता हो गए थे, लेकिन आज भी 702 डीएनए नमूने ऐसे हैं जो किसी भी परिवार से मेल नहीं खा सके हैं।


702 डीएनए नमूने बने रहस्य, 33 की ही हो सकी पुष्टि

आपदा के बाद 735 शवों और कंकालों से डीएनए नमूने लिए गए थे और इनकी जांच बेंगलुरु स्थित लैब में कराई गई। वहीं, अपने लापता परिजनों की तलाश में 6000 से अधिक लोगों ने डीएनए सैंपल दिए।
लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि केवल 33 मामलों में ही डीएनए मिलान हो सका।
अब भी 702 डीएनए प्रोफाइल बेंगलुरु लैब की रिपोर्ट के आधार पर पुलिस के पास हैं, लेकिन वे किसके हैं—यह 12 साल बाद भी एक अनुत्तरित सवाल बना हुआ है।


लाशें, कंकाल और पहचान के निशान

केदारनाथ और उससे सटे क्षेत्रों में आपदा के वर्षों बाद तक शव और कंकाल मिलते रहे। पुलिस और राहत दलों ने कई सौ शवों का अंतिम संस्कार कराया। कुछ शवों पर मिले कपड़े, जेवर और अन्य सामान को साक्ष्य के रूप में रखा गया और डीएनए सैंपल के साथ मिलान की कोशिश की गई।
कई परिवार पुलिस द्वारा भेजे गए पत्रों और पहचान चिह्नों के आधार पर अपनों के अंतिम चिह्न लेकर लौटे, लेकिन अधिकांश को केवल अधूरी जानकारी और अनुत्तरित सवाल ही मिले।


एडीजी का बयान

एडीजी अमित सिन्हा, निदेशक विधि विज्ञान प्रयोगशाला, ने पुष्टि की—

“उस समय 735 डीएनए सैंपल लिए गए थे। इनमें से केवल 33 का ही परिवारों से मिलान हो सका है। सभी सैंपलों को बेंगलुरु लैब भेजा गया था। बाकी 702 अभी भी अपनों का इंतजार कर रहे हैं।”


आपदा की भयावह तस्वीर – एक नजर में

  • 15-16 जून 2013 की रात आई थी आपदा

  • 4400 से अधिक लोग मारे गए या लापता (सरकारी आंकड़े)

  • 991 स्थानीय निवासी मारे गए

  • 55 नरकंकाल खोजी अभियानों में बरामद हुए

  • 11,000 से अधिक पशु भी मारे गए

  • 30,000 से अधिक लोगों को पुलिस ने बचाया

  • 90,000 से ज्यादा लोगों को सेना व अर्धसैनिक बलों ने बचाया


पीड़ित परिवारों की उम्मीदें धुंधली, सवाल अब भी जिंदा

आज, जब उत्तराखंड नई विकास योजनाओं और पुनर्निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रहा है, तब भी कई परिवार अपने खोए हुए अपनों की तलाश में हर साल केदारनाथ आते हैं।
702 डीएनए प्रोफाइल अब मानव इतिहास के सबसे दर्दनाक पन्नों में एक अधूरी कहानी की तरह दर्ज हैं।


निष्कर्ष:
केदारनाथ आपदा ने सिर्फ भौतिक नुकसान नहीं किया, बल्कि हजारों परिवारों को स्थायी मानसिक पीड़ा दी। विज्ञान, तकनीक और प्रयासों के बावजूद 702 अनपहचाने डीएनए प्रोफाइल यह सवाल खड़ा करते हैं—क्या कभी सभी अपनों की पहचान हो सकेगी?

स्मृति में वे सभी, जो उस त्रासदी में सदा के लिए खो गए…

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