नैनीताल/देहरादून, 12 जून 2025
उत्तराखंड के विश्वविख्यात कैंची धाम मेले की तैयारियों को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को सीएम आवास में एक उच्च स्तरीय बैठक कर अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। हर साल 15 जून को मनाए जाने वाले नीम करौली बाबा स्थापना दिवस के इस बड़े आयोजन में लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं, जिस कारण इस बार व्यवस्थाओं को और अधिक चुस्त-दुरुस्त करने पर जोर दिया गया है।
हर साल बढ़ रही है श्रद्धालुओं की संख्या
बैठक में जिलाधिकारी नैनीताल वंदना सिंह ने जानकारी दी कि बीते वर्ष करीब 24 लाख श्रद्धालु कैंची धाम पहुंचे, जबकि इससे पहले यह संख्या आठ लाख के आसपास होती थी। इस वर्ष 15 जून के स्थापना दिवस पर ही करीब ढाई से तीन लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है। ऐसे में प्रशासन ट्रैफिक प्रबंधन, भीड़ नियंत्रण, और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सतर्क है।
सीएम ने दिए तीन स्तर की योजना तैयार करने के निर्देश
मुख्यमंत्री धामी ने अधिकारियों को तात्कालिक, मध्यकालिक और दीर्घकालिक योजनाएं तैयार करने को कहा:
तात्कालिक योजना:
मेले के सफल आयोजन के लिए तत्काल प्रभाव से व्यवस्थाएं सुदृढ़ की जाएं। पानी, शौचालय, पार्किंग, मेडिकल, सुरक्षा जैसी जरूरी सुविधाओं पर फोकस किया जाए।
मध्यकालिक योजना:
भीड़ प्रबंधन और यातायात नियंत्रण के लिए अगले कुछ वर्षों में लागू की जाने वाली संरचनाएं और तंत्र विकसित किए जाएं।
दीर्घकालिक योजना:
कैंची धाम के आसपास स्थायी बुनियादी ढांचे का विकास, धार्मिक पर्यटन प्रबंधन प्रणाली, और श्रद्धालुओं के लिए लॉजिस्टिक सपोर्ट सिस्टम तैयार किया जाए।
यातायात के लिए रोड कटिंग कार्य को युद्धस्तर पर पूरा करने के निर्देश
सीएम धामी ने सेनेटोरियम से भवाली पेट्रोल पंप तक के करीब तीन किलोमीटर के मार्ग पर हो रहे कटिंग कार्य को जल्द से जल्द पूरा करने को कहा है, ताकि यातायात सुचारू और सुरक्षित रह सके। इस रास्ते पर ट्रैफिक जाम की स्थिति से हर साल श्रद्धालुओं को भारी परेशानी होती है।
धारणा क्षमता से कई गुना अधिक भीड़, विशेष योजना तैयार
डीएम वंदना सिंह के अनुसार, कैंची धाम की धारणा क्षमता सीमित है, जबकि मेले में अनुमान से कई गुना अधिक श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस कारण इस बार प्रशासन ने:
✔ वन-वे ट्रैफिक प्लान
✔ वैकल्पिक मार्गों की तैयारी
✔ रियल-टाइम निगरानी सिस्टम
✔ मौके पर पर्याप्त सुरक्षा बलों की तैनाती
✔ मेडिकल सहायता केंद्रों की व्यवस्था
✔ आपातकालीन नियंत्रण कक्ष
की व्यवस्था की है।
स्थानीय सहयोग और डिजिटल प्रबंधन पर भी जोर
सरकार ने श्रद्धालुओं से प्रशासन के निर्देशों का पालन करने, भीड़ के समय संयम बरतने, और स्थानीय निवासियों के सहयोग की अपील की है। साथ ही इस बार डिजिटल ट्रैफिक मैपिंग, ऑनलाइन सूचना अपडेट, और रेडियो-अलर्ट सिस्टम के माध्यम से श्रद्धालुओं को समय-समय पर अपडेट देने की योजना भी तैयार की गई है।
निष्कर्ष: भावनाओं के साथ व्यवस्था का संतुलन ज़रूरी
कैंची धाम मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आस्था का महासंगम है। हर साल यहां पहुंचने वाली भीड़ उत्तराखंड की धार्मिक विरासत को दर्शाती है। मुख्यमंत्री धामी की यह पहल दर्शाती है कि सरकार आस्था और व्यवस्थाओं के बीच संतुलन कायम रखने के लिए प्रतिबद्ध है।