14 जून 2025 | देहरादून
राजधानी देहरादून के खालंगा वन क्षेत्र के हल्दुआम में शनिवार को हजारों पर्यावरण प्रेमियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और जागरूक नागरिकों का आक्रोश देखने को मिला। यह विरोध प्रदर्शन अब भू-माफिया के कथित अतिक्रमण के खिलाफ ‘खालंगा बचाओ आंदोलन 2.0’ जैसा रूप ले चुका है।
विरोध के केंद्र में क्या है?
हाल ही में सामने आई जानकारी के अनुसार, हल्दुआम क्षेत्र की लगभग 40 बीघा रिजर्व फॉरेस्ट भूमि पर अवैध रूप से कैंपिंग साइट तैयार करने की कोशिशें की जा रही हैं। इसमें लोहे के गेट, एंगल, तारबाड़ आदि का निर्माण शामिल है। आरोप है कि यहां पेड़ों की कटाई की योजना भी बनाई गई है।
इससे पहले, इसी इलाके में प्रस्तावित सोंग बांध परियोजना के अंतर्गत 2000 से अधिक पेड़ों के कटान का विरोध हुआ था।
कैसे हो गई ‘निजी जमीन’?
पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने सवाल उठाया कि जब यह जमीन चारों ओर से रिजर्व फॉरेस्ट से घिरी हुई है, तो बीच की भूमि को “निजी जमीन” घोषित कैसे किया गया?
उनका दावा है कि 12 साल पहले इस भूमि को खरीदा गया और लीज पर दिया गया, जो पूरी प्रक्रिया को संदिग्ध बनाता है।
अधिकारियों की टीम पहुंची मौके पर
सिटीजन फॉर ग्रीन दून और संयुक्त नागरिक संगठन की मांग पर, DFO अमित कंवर अपने रेंज अधिकारियों और राजस्व विभाग की टीम के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने दस्तावेजों का निरीक्षण किया, लेकिन पूरी स्थिति को “गंभीर और गहन जांच” का विषय मानते हुए विस्तृत जांच के आदेश दिए।
आंदोलनकारियों की दो टूक: “पेड़ नहीं कटने देंगे”
आंदोलन में शामिल पर्यावरण प्रेमियों ने साफ कहा कि खालंगा वन क्षेत्र में एक भी पेड़ का कटान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
उन्होंने हाल ही में देहरादून में 900 बीघा अवैध रूप से कब्जाई गई जमीन को सरकारी नियंत्रण में लेने की कार्यवाही का समर्थन करते हुए, हल्दुआम मामले में भी डीएम से सख्त और पारदर्शी जांच की मांग की है।
ये संगठन रहे आंदोलन में शामिल:
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बलभद्र खालंगा विकास समिति
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सिटीजन फॉर ग्रीन दून
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संयुक्त नागरिक संगठन
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नेचर बड्डी
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पूर्व सैनिक संगठन
प्रमुख लोगों की भागीदारी:
जया सिंह, ईरा चौहान, मनीषा रतूड़ी, दीपशिखा रावत, कैप्टन वाई बी थापा, मेजर एमएस रावत, आशीष गर्ग, पंकज उनियाल, परमजीत सिंह कक्कड़, मनीष मित्तल, एसएस गोसाई, यशवीर आर्य, श्रद्धा चौहान, युद्धवीर गोसाई, आभा भटनागर, नीरा रावत, सागर नौटियाल, महेश असवाल सहित कई जागरूक नागरिक उपस्थित रहे।
संयुक्त नागरिक संगठन के सचिव सुशील त्यागी ने कहा:
“प्रकृति के नाम पर खिलवाड़ अब बर्दाश्त नहीं। खालंगा वन सिर्फ जंगल नहीं, हमारी सांस है। सरकार को भू-माफिया के खिलाफ सख्त कदम उठाने होंगे।”