दिनांक: 02 दिसंबर 2025 | स्थान: देहरादून/चकराता
छह माह की गर्भवती महिला से दुष्कर्म का मामला सामने आते ही महिला आयोग सक्रिय
चकराता क्षेत्र में छह माह की गर्भवती महिला के साथ दुष्कर्म की दिल दहला देने वाली घटना सामने आने के बाद उत्तराखण्ड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने तुरंत स्वतः संज्ञान लिया।
दैनिक समाचार पत्रों में प्रकाशित खबर के आधार पर उन्होंने सीधे हस्तक्षेप करते हुए मामले को अत्यधिक संवेदनशील करार दिया।
पीड़िता ने गांव के युवक पर सार्वजनिक शौचालय में दुष्कर्म का आरोप लगाया
अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाली पीड़िता ने आरोप लगाया है कि गांव का ही एक युवक उसे सार्वजनिक शौचालय में जबरन ले गया और दुष्कर्म किया।
घटना ने पूरे क्षेत्र में आक्रोश की लहर पैदा कर दी है।
“महिला अस्मिता के साथ खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा” – कुसुम कंडवाल
अध्यक्ष कंडवाल ने घटना को “अत्यंत दुखद, निंदनीय और समाज को झकझोर देने वाली” बताया।
उन्होंने कहा कि गर्भवती महिला के साथ इस तरह की हरकत महिला अस्मिता पर सीधा हमला है और दोषियों के प्रति किसी भी प्रकार की नरमी नहीं बरती जाएगी।
राजस्व पुलिस से मामला रेगुलर पुलिस को ट्रांसफर करने के आदेश
संज्ञान लेते ही उन्होंने उपजिलाधिकारी (चकराता) प्रेम लाल से टेलीफोन पर बातचीत कर निर्देशित किया कि मामला तुरंत राजस्व पुलिस से हटाकर रेगुलर पुलिस को ट्रांसफर किया जाए।
उनका कहना था कि इससे जांच तेज, निष्पक्ष और प्रभावी ढंग से हो सकेगी।
जिलाधिकारी और एसपी देहात को कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश
अध्यक्ष ने जिलाधिकारी देहरादून को मामले में ठोस एवं कठोरतम कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा है।
इसी के साथ उन्होंने एसपी देहात पंकज गैरोला को साफ निर्देश दिए कि रेगुलर पुलिस के पास मामला आते ही बिना किसी ढिलाई के त्वरित कार्रवाई की जाए।
पीड़िता की सुरक्षा और स्वास्थ्य को प्राथमिकता
महिला आयोग ने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि पीड़िता और उसके परिवार की सुरक्षा पूरी तरह सुनिश्चित की जाए।
साथ ही, छह माह की गर्भावस्था को देखते हुए उसे तत्काल और सर्वोत्तम चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
उसकी शारीरिक व मानसिक स्थिति पर विशेष निगरानी रखने के आदेश भी जारी किए गए हैं।
आयोग करेगा लगातार मॉनिटरिंग
महिला आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि पूरे मामले की हर स्तर पर मॉनिटरिंग की जाएगी और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।
पीड़िता को हर संभव न्याय दिलाना आयोग की सर्वोच्च प्राथमिकता होगी।
निष्कर्ष
यह संवेदनशील मामला न केवल कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाता है बल्कि महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को लेकर समाज की जिम्मेदारी की भी याद दिलाता है।
महिला आयोग की त्वरित कार्रवाई से उम्मीद है कि पीड़िता को समयबद्ध न्याय मिलेगा और दोषियों को सख्त से सख्त सजा सुनिश्चित की जाएगी।


