स्थान: चकराता, उत्तराखंड | तारीख: 10 जून 2025
रात की ड्यूटी, सुबह की मातम में तब्दील: गजेंद्र सिंह की नींद बनी काल
चकराता तहसील में बनियाना-मिंडाल मोटर मार्ग पर मंगलवार तड़के एक दर्दनाक हादसा हुआ, जिसमें 27 वर्षीय बोलेरो चालक गजेंद्र सिंह की जान चली गई। हादसा उस वक्त हुआ जब वह एक मरीज को अस्पताल पहुंचाकर घर लौट रहे थे। थकान और रातभर की दौड़भाग के चलते उन्हें झपकी आई और गाड़ी सीधे 50 मीटर गहरी खाई में जा गिरी।
कैसे हुआ हादसा: पूरी घटनाक्रम पर एक नज़र
विवरण | जानकारी |
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हादसे का स्थान | भंडाराथात (नुडाड़ी), बनियाना-मिंडाल मार्ग |
समय | सुबह लगभग 4 बजे |
वाहन | बोलेरो (प्राइवेट गाड़ी) |
मृतक | गजेंद्र सिंह (27), निवासी सिचाड़ गांव |
कारण | ड्राइविंग के दौरान नींद आना (झपकी) |
जानकारी का खुलासा | सुबह 9 बजे स्थानीय ग्रामीणों ने देखा |
मरीज को अस्पताल छोड़कर लौट रहे थे गजेंद्र
- सोमवार रात को गजेंद्र सिंह ने बनियाना गांव की एक महिला मरीज को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, चकराता पहुंचाया था।
- उपचार के बाद मरीज को घर पहुंचाकर वह अकेले अपने गांव सिचाड़ लौट रहे थे।
- थकावट और लगातार ड्राइविंग की वजह से सुबह 4 बजे भंडाराथात के पास उन्हें झपकी आ गई, जिससे वाहन अनियंत्रित होकर गहरी खाई में जा गिरा।
5 घंटे बाद दिखा मंजर, SDRF ने निकाला शव
- सुबह करीब 9 बजे कुछ ग्रामीण जब उस रास्ते से गुजर रहे थे, तो उनकी नजर खाई में गिरे वाहन पर पड़ी।
- ग्रामीण तुरंत नीचे उतरे, लेकिन तब तक गजेंद्र सिंह की मौत हो चुकी थी।
- ग्रामीणों ने SDRF और चकराता थाना पुलिस को सूचना दी।
- SDRF टीम ने मुख्य आरक्षी शैलेंद्र सिंह के नेतृत्व में राहत कार्य शुरू कर शव को बाहर निकाला।
हादसे की जगह की स्थिति
- क्षेत्र में संकरे और घुमावदार रास्ते, साथ ही बिना रेलिंग के खतरनाक ढलान, पहले भी हादसों को जन्म दे चुके हैं।
- सड़क के इस हिस्से पर सुरक्षा संकेतक या स्लीप अलर्ट सिस्टम की कमी अब सवालों के घेरे में है।
गांव में मातम: एक साल के बेटे को छोड़ गया गजेंद्र
- गजेंद्र सिंह की मृत्यु से सिचाड़ गांव में शोक की लहर दौड़ गई।
- स्वजनों ने बताया कि उनकी शादी महज दो साल पहले हुई थी, और उनका एक साल का बेटा है।
- गजेंद्र को गांव में ईमानदार, मददगार और जिम्मेदार युवक के रूप में जाना जाता था।
क्या कहती है पुलिस और प्रशासन?
दारोगा युद्धवीर सिंह ने बताया कि शव को पोस्टमार्टम के बाद स्वजनों को सौंप दिया गया है।
स्थानीय प्रशासन की ओर से परिवार को आर्थिक सहायता और मुआवजे पर विचार किया जा रहा है।
सवाल भी खड़े हुए हैं
- क्या ऐसे दुर्गम क्षेत्रों में रात के समय ड्राइविंग रोकने के उपाय होने चाहिए?
- थके हुए चालकों के लिए विश्राम के अनिवार्य बिंदु क्यों नहीं बनाए जाते?
- प्रशासन कब देगा सड़क सुरक्षा को प्राथमिकता?
श्रद्धांजलि
समाचार इंडिया न्यूज़ टीम गजेंद्र सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करती है और ईश्वर से उनके परिवार को इस दुख की घड़ी में संबल देने की प्रार्थना करती है।