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छत्रधारी चालदा महासू महाराज की ऐतिहासिक प्रवास यात्रा प्रारंभ

साहिया (देहरादून) | 9 दिसंबर 2025

जौनसार-बावर की आस्था और परंपरा का प्रतीक छत्रधारी चालदा महासू महाराज अपनी ऐतिहासिक प्रवास यात्रा पर निकल पड़े हैं। देहरादून जिले के साहिया क्षेत्र स्थित दसऊ मंदिर से देवता की पालकी हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जनपद के पश्मी गांव के लिए रवाना हुई। इस दिव्य क्षण के साक्षी बनने के लिए हजारों श्रद्धालु मंदिर परिसर में उमड़ पड़े।


हिमाचल से आए श्रद्धालुओं का भव्य स्वागत

प्रवास यात्रा के शुभारंभ के अवसर पर हिमाचल प्रदेश के पश्मी और द्राबिल गांवों से करीब 350 ग्रामीण देवता को लेने दसऊ पहुंचे। खत दसऊ-पसगांव के ग्रामीणों ने फूल-मालाओं और पारंपरिक स्वागत के साथ हिमाचल से आए श्रद्धालुओं का अभिनंदन किया। मंदिर परिसर में ढोल-नगाड़ों और जयकारों से पूरे क्षेत्र का वातावरण भक्तिमय हो गया।


छह दिवसीय प्रवास, सातवें दिन पश्मी मंदिर में विराजमान

छत्रधारी चालदा महासू महाराज की यह प्रवास यात्रा छह दिनों और छह रात्रि पड़ावों की होगी। यात्रा के पूर्ण होने पर सातवें दिन, यानी 14 दिसंबर 2025 को देवता हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के पश्मी गांव में निर्मित भव्य नए मंदिर में एक वर्ष के लिए विराजमान होंगे।


सिरमौर में प्रथम पदार्पण, श्रद्धालुओं में विशेष उत्साह

चार भाई महासू देवताओं में सबसे अनुज और भ्रमणप्रिय माने जाने वाले छत्रधारी चालदा महासू महाराज का यह सिरमौर जिले में प्रथम प्रवास है। इससे पहले देवता कभी सिरमौर क्षेत्र में प्रवास पर नहीं गए थे। इसी कारण हिमाचल और जौनसार-बावर दोनों क्षेत्रों के श्रद्धालुओं में विशेष उत्साह और उल्लास देखने को मिल रहा है।


श्रद्धा, प्रतीक्षा और सौभाग्य का ऐतिहासिक क्षण

श्रद्धालुओं के अनुसार यह यात्रा सैकड़ों वर्षों की प्रतीक्षा के बाद संभव हो सकी है। छत्रधारी चालदा महासू महाराज चलायमान देवता माने जाते हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में भ्रमण कर अपने भक्तों के कष्ट दूर करते हैं। देवता अपने भ्राताओं द्वारा प्रदत्त दिव्य और विशाल छत्र को धारण करते हैं, जो उनकी विशिष्ट पहचान है।


गर्भगृह से निकले तो उमड़ा आस्था का सैलाब

सोमवार को शुभ मुहूर्त में जैसे ही देवता गर्भगृह से बाहर आए, मंदिर परिसर श्रद्धालुओं की भीड़ से भर गया। हर कोई अपने आराध्य के दर्शन के लिए व्याकुल दिखा। श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना कर मनोकामनाएं मांगी और देवता के जयकारों से पूरा क्षेत्र गूंज उठा।


कहीं खुशी, कहीं आंखों में आंसू

देवता की प्रवास यात्रा के शुभारंभ पर दसऊ गांव में भावनाओं का अनोखा दृश्य देखने को मिला। अपने आराध्य को विदा करते समय कई महिलाएं भावुक होकर रो पड़ीं, वहीं हिमाचल प्रदेश के पश्मी गांव में देवता के आगमन को लेकर उत्सव का माहौल रहा।
हालांकि प्रवास यात्रा शुरू होने के बाद 8 दिसंबर की रात देवता दसऊ में ही विश्राम करेंगे।


प्रवास यात्रा का विस्तृत कार्यक्रम

  • 8 दिसंबर: दसऊ में रात्रि विश्राम

  • 10 दिसंबर: सीताराम चौहान भूपऊ

  • 11 दिसंबर: म्यार खेड़ा

  • 12 दिसंबर: सावड़ा (बुरायला जगथान बागड़ी)

  • 13 दिसंबर: द्राबिल (हिमाचल प्रदेश) में बागड़ी

  • 14 दिसंबर: पश्मी गांव के नए मंदिर में विधिवत विराजमान


तीस हजार से अधिक श्रद्धालुओं की भागीदारी की संभावना

शांठीबिल और पांशीबिल के आराध्य छत्रधारी चालदा महासू महाराज के इस ऐतिहासिक सिरमौर प्रवास में 30 हजार से अधिक श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। प्रशासन और स्थानीय समितियां श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा को लेकर तैयारियों में जुटी हैं।


निष्कर्ष

छत्रधारी चालदा महासू महाराज की प्रवास यात्रा न केवल जौनसार-बावर और सिरमौर की धार्मिक परंपरा को नया आयाम दे रही है, बल्कि दोनों क्षेत्रों की सांस्कृतिक एकता और आस्था को भी मजबूत कर रही है। यह यात्रा श्रद्धा, विश्वास और सौहार्द का जीवंत प्रतीक बनकर इतिहास में स्वर्णिम अध्याय के रूप में दर्ज होने जा रही है।

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