BREAKING

ट्रैकिंग के दौरान रास्ता भटके उत्तराखंड के दो युवक: ‘चट्टान ही आखिरी सहारा…’ कहकर बना लिया विदाई वीडियो, पर अंधेरे में सुनाई दी उम्मीद—छह घंटे के रेस्क्यू में बची जान

 तारीख: 27 नवंबर 2025
स्थान: देहरादून / ठाणे (महाराष्ट्र)


महाराष्ट्र के दुर्गम गोरखगढ़ किले में ट्रैकिंग के दौरान रास्ता भटककर गहरी खाई में फंस चुके उत्तराखंड के दो युवकों को लगा कि अब उनकी जिंदगी कुछ ही पलों की मेहमान है। अंधेरा, ठंडी हवा, खड़ी चट्टानें और मोबाइल की अंतिम बची बैटरी—इन्हीं हालातों में दोनों ने एक भावुक वीडियो बनाकर कहा—

“ये चट्टान ही हमारा आखिरी सहारा है… शायद यहीं जिंदगी खत्म हो जाए।”

लेकिन उसी अंधेरे में कहीं दूर से आई एक आवाज ने दोनों की उम्मीद लौटा दी। इसके बाद करीब छह घंटे चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद महाराष्ट्र पुलिस और बचाव दल ने उन्हें रस्सियों की मदद से सुरक्षित निकाल लिया।


 कैसे भटके रास्ते से? दुर्गम ढलानों ने बढ़ाई मुश्किल

रुड़की के श्यामनगर निवासी मयंक वर्मा, जो मुंबई विश्वविद्यालय में पोस्ट–ग्रेजुएट छात्र हैं, 23 नवंबर की दोपहर करीब 1.30 बजे अपने दोस्त रजत बंसल (निवासी जसपुर) के साथ गोरखगढ़ किले की चढ़ाई पर निकले थे।

गोरखगढ़ किला अपनी खड़ी ढलानों और चुनौतीपूर्ण रास्तों के लिए जाना जाता है। चढ़ाई के बीच दोनों को एहसास हुआ कि वे शाम तक किले तक नहीं पहुंच पाएंगे। इसलिए उन्होंने वापस उतरने का निर्णय लिया—लेकिन यही निर्णय बाद में उनके लिए खतरा बन गया।


 गलत दिशा में बढ़ गए कदम—और पहुंच गए खतरनाक खाई में

वापसी के दौरान दोनों गलत दिशा में चले गए और कुछ ही देर में एक ऐसी खाई में उतर गए, जहां से न वापस चढ़ना संभव था और न आगे बढ़ना। सांसें तेज होने लगीं, घबराहट बढ़ने लगी और चारों तरफ सिर्फ अंधेरा।

स्थिति इतनी भयावह थी कि उन्हें जीवन बचने की कोई उम्मीद नहीं दिख रही थी।


 दूर से आई आवाज बनी जीवन की डोरी

शाम होते-होते थकावट और डर बढ़ गया। तभी दूर से पुणे से आए कुछ पर्यटकों ने उनकी चीखें सुनीं और उन्हें आवाज देकर प्रतिक्रिया दी।

दोनों ने ऊपर की ओर चढ़ने की कोशिश की, लेकिन ऐसी जगह फंस गए जहाँ से न आगे बढ़ना संभव था न पीछे लौटना। पर्यटकों के लिए भी वहां तक पहुंचना असंभव था।


 मुश्किल घड़ी में बनाया विदाई वीडियो

मोबाइल की बैटरी खत्म होने ही वाली थी। ऐसे में मयंक ने एक भावुक वीडियो बना लिया और अपने दोस्त संजीव भटनागर (रुड़की) को फोन कर अंतिम बार अपनी लोकेशन और हालात बताए।
संजीव ने तुरंत महाराष्ट्र पुलिस से संपर्क किया और रेस्क्यू पोर्टल पर सूचना भेजी।


 रात 9 बजे तक चला रेस्क्यू अभियान

मुरबाड तहसीलदार देशमुख, मुरबाड पुलिस स्टेशन की टीम और सहमगिरी रेस्क्यू टीम (कुसुम विशे) तुरंत घटनास्थल पर पहुंची।
रस्सियों और सुरक्षा उपकरणों की मदद से अंधेरे में बेहद जोखिम भरा ऑपरेशन चलाया गया।

कड़ी मशक्कत के बाद रात लगभग 9 बजे दोनों युवकों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।

महाराष्ट्र पुलिस ने इस बारे में आधिकारिक जानकारी जारी की और युवकों की बहादुरी तथा शांत रहकर मदद मांगने की सराहना की।


 गोरखगढ़ किला—रोमांचक लेकिन खतरनाक ट्रैक

ठाणे जिले में स्थित गोरखगढ़ किला—

  • संत गोरखनाथ की तपस्या से जुड़ा हुआ

  • ऊंचे-खड़े चट्टानों वाला

  • चुनौतीपूर्ण और रोमांचक ट्रैक

  • सह्याद्री पर्वतों के 360° नजारे दर्शाने वाला

यह किला ट्रैकर्स के बीच खासा लोकप्रिय है, लेकिन यहां कई बार पर्यटक कठिन रास्तों में फंस जाते हैं।


 निष्कर्ष

उत्तराखंड के इन युवा ट्रैकर्स की कहानी यह बताती है कि—

साहस, सतर्कता और समय पर मिली मदद किसी भी गंभीर स्थिति को जीवन में बदल सकती है।

गोरखगढ़ जैसे दुर्गम ट्रैकिंग रूट पर जाना रोमांच जरूर है, लेकिन तैयारी, मार्ग की जानकारी और सुरक्षा के प्रति सचेत रहना उतना ही जरूरी है।
महाराष्ट्र पुलिस और बचाव टीम की तत्परता ने दो जीवन बचाए, वरना अंधेरे में वह चट्टान सचमुच उनका आखिरी सहारा बन सकती थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *