स्थान: देहरादून | दिनांक: 18 अक्टूबर 2025
डीआरडीओ कर्नल की निजी कॉल रिकॉर्ड अवैध रूप से लीक, साजिश का आरोप
देहरादून में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) से जुड़ा एक गंभीर मामला सामने आया है। संगठन के वरिष्ठ अधिकारी कर्नल कमलेश सिंह बिष्ट ने अपने निजी मोबाइल की कॉल डेटा रिकॉर्ड (CDR) के अवैध रूप से लीक होने और उनके खिलाफ जासूसी व हत्या की साजिश रचे जाने का आरोप लगाया है।
कर्नल बिष्ट ने इस मामले में अपने पूर्व सहयोगी सूबेदार अजनीश पर सीधे तौर पर षड्यंत्र का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि उनकी सीडीआर का अवांछनीय लोगों के पास पहुंचना न केवल व्यक्तिगत गोपनीयता का उल्लंघन है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा है।
नौ महीने तक जांच में देरी, अब पुलिस ने दर्ज किया मुकदमा
कर्नल बिष्ट ने बताया कि उन्होंने इस संबंध में 9 जनवरी 2025 को साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन और 7 फरवरी 2025 को रायपुर थाना में शिकायत दी थी, लेकिन नौ महीने बीत जाने के बाद भी जांच आगे नहीं बढ़ी।
आखिरकार, एसटीएफ (विशेष कार्य बल) ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जीरो एफआईआर दर्ज की और आगे की जांच के लिए रायपुर पुलिस को भेज दिया। रायपुर थानाध्यक्ष गिरीश नेगी ने पुष्टि की कि मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच जारी है।
गुमनाम कॉल और पत्र से खुला राज, सामने आए चौंकाने वाले दावे
मामले की शुरुआत दिसंबर 2024 में हुई, जब एक अज्ञात महिला ने कर्नल बिष्ट को फोन कर बताया कि उनके पूर्व कार्यालय (ईएमयू, डीआरडीओ) में कार्यरत सूबेदार अजनीश ने अवैध रूप से उनकी कॉल रिकॉर्ड निकलवाई है और उनके खिलाफ साजिश रच रहा है।
इसके बाद चार फरवरी 2025 को डीआरडीओ के सीनियर टेक्निकल असिस्टेंट कुलवंत सिंह का एक पत्र सामने आया। यह पत्र सेनाध्यक्ष को संबोधित था, जिसकी एक प्रति कर्नल बिष्ट को भी भेजी गई।
पत्र में सूबेदार अजनीश पर कर्नल बिष्ट की जासूसी करवाने, हत्या की सुपारी देने और डीआरडीओ के संवेदनशील पद की जानकारी लीक करने का आरोप लगाया गया।
सबूत के रूप में सामने आई सीडीआर रिपोर्ट
कुलवंत सिंह द्वारा भेजे गए पत्र में कर्नल बिष्ट के मोबाइल नंबर की फरवरी और मार्च 2023 की सीडीआर की छह पन्ने संलग्न थे। कर्नल ने पुष्टि की कि इन रिकॉर्ड्स में दिख रही लोकेशन उनकी वास्तविक लोकेशन से मेल खाती है, जिससे सीडीआर की सत्यता पर कोई संदेह नहीं रह जाता।
कर्नल बिष्ट ने कहा कि “एक वरिष्ठ अधिकारी और संवेदनशील रक्षा प्रतिष्ठान में कार्यरत व्यक्ति की निजी जानकारी का अवैध रूप से बाहर जाना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी है।”
एसटीएफ और पुलिस ने शुरू की जांच, मामला संवेदनशील बताया
एसएसपी एसटीएफ नवनीत सिंह भुल्लर ने बताया कि शिकायत पहले एसटीएफ को प्राप्त हुई थी। जांच में पता चला कि यह मामला रायपुर थानाक्षेत्र से संबंधित है, इसलिए जीरो एफआईआर दर्ज कर केस जिला पुलिस को सौंप दिया गया।
पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि कॉल रिकॉर्ड तक पहुंच कैसे बनी और इसके पीछे कौन-कौन लोग शामिल हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बना बड़ा सवाल
यह मामला अब सिर्फ एक अधिकारी की निजता का नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता से जुड़ गया है। अगर किसी सैन्य अधिकारी के कॉल रिकॉर्ड इतनी आसानी से लीक हो सकते हैं, तो यह भविष्य में जासूसी नेटवर्क के लिए खतरे का संकेत है।
निष्कर्ष:
डीआरडीओ जैसे अत्यंत संवेदनशील संगठन में कार्यरत अधिकारी की कॉल रिकॉर्ड का लीक होना एक गंभीर सुरक्षा उल्लंघन है। कर्नल कमलेश बिष्ट के आरोपों ने न केवल पुलिस जांच की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं, बल्कि इसने रक्षा तंत्र की गोपनीयता पर भी चिंता जताई है। अब देखना होगा कि जांच किस दिशा में आगे बढ़ती है और क्या सच सामने आता है।
“राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि — लेकिन जब साजिशें भीतर से हों, तो खतरा और भी गहरा होता है।”