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दिल्ली के करोलबाग से दो शातिर गिरफ्तार, पूर्व कुलपति से 1.47 करोड़ की ठगी का पर्दाफाश

 

स्थान: देहरादून/दिल्ली
तारीख: 6 सितंबर 2025

उत्तराखंड के साइबर अपराध विभाग को बड़ी सफलता हाथ लगी है। रूहेलखंड विश्वविद्यालय की एक सेवानिवृत्त महिला कुलपति से 1.47 करोड़ रुपये की ऑनलाइन ठगी के मामले में स्पेशल टास्क फोर्स (STF) की साइबर क्राइम यूनिट ने दो और आरोपियों को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया है।


शिकायत अगस्त 2025 में हुई थी दर्ज

इस मामले में शिकायत 2025 के अगस्त माह में नैनीताल निवासी एक पूर्व कुलपति द्वारा दर्ज कराई गई थी। शिकायत के अनुसार, पीड़िता को व्हाट्सएप कॉल के माध्यम से खुद को महाराष्ट्र साइबर क्राइम विभाग का अधिकारी बताकर धमकाया गया और मनी लॉन्ड्रिंग में फंसाने की धमकी दी गई।

ठगों ने पीड़िता को बताया कि उनके नाम पर एक बैंक खाता खुला है जिसमें 60 करोड़ रुपये का संदिग्ध लेन-देन हुआ है। इस झांसे में आकर पीड़िता ने डिजिटल अरेस्ट के नाम पर अलग-अलग खातों में कुल 1.47 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए।


पहली गिरफ्तारी हिमाचल से, अब दो और दिल्ली से दबोचे गए

इस हाई-प्रोफाइल साइबर ठगी मामले की जांच में पहले आरोपी को 31 अगस्त 2025 को हिमाचल प्रदेश के सोलन से गिरफ्तार किया गया था। ताजा कार्रवाई में पुलिस ने दिल्ली के करोलबाग स्थित कृष्णा स्टे पीजी गेस्ट हाउस पर छापा मारकर दो और शातिर आरोपियों – मोहम्मद सैफ (24), निवासी लखनऊ (उत्तर प्रदेश) और शकील अंसारी (23), निवासी झारखंड को गिरफ्तार कर लिया।


बरामदगी: मोबाइल, सिम, पासपोर्ट और चेकबुक

पुलिस ने आरोपियों के पास से भारी मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक और फाइनेंशियल सामान बरामद किया है:

  • 9 मोबाइल फोन
  • 14 सिम कार्ड
  • 3 चेक बुक
  • 7 चेक
  • 4 डेबिट कार्ड
  • 1 पासपोर्ट
  • 1 फर्म की मुहर

इनके माध्यम से देश के अलग-अलग हिस्सों में लोगों को निशाना बनाया जा रहा था।


तकनीकी साक्ष्य से पकड़े गए आरोपी

डीएसपी अंकुश मिश्रा के नेतृत्व में जांच टीम ने बैंक खाते, मोबाइल नंबर और व्हाट्सएप डेटा की गहन जांच की। जांच में पाया गया कि पीड़िता से ली गई 33 लाख रुपये की राशि जिस ICICI बैंक खाते में जमा करवाई गई थी, वह गोवा निवासी एक व्यक्ति के नाम पर था। उस खाते से जुड़ा मोबाइल नंबर दिल्ली के करोलबाग में सक्रिय था, जिससे टीम को ठिकाने का पता चला।


व्हाट्सएप कॉल से लगातार डराते थे आरोपी

एसएसपी नवनीत सिंह ने बताया कि प्रारंभिक पूछताछ में आरोपियों ने कबूल किया है कि वे पीड़िता को लगातार व्हाट्सएप कॉल पर रखते थे और किसी से बात करने से मना करते थे।

वे अलग-अलग बैंक खातों का इस्तेमाल करते थे ताकि ट्रैक न हो सकें। जैसे ही राशि मिलती, उसे तुरंत अन्य खातों में ट्रांसफर कर दिया जाता था।


देशभर में फैला है ठगों का नेटवर्क, सात लोगों को बना चुके हैं शिकार

पुलिस जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि जिस ICICI बैंक खाते का इस्तेमाल इस ठगी में हुआ, उसी खाते का उपयोग करके उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तराखंड समेत कई राज्यों में कम से कम सात अन्य लोगों को डिजिटल अरेस्ट के नाम पर ठगा गया है।

संबंधित राज्यों की पुलिस को इन घटनाओं की सूचना दी जा रही है।


सावधानी ही बचाव – साइबर अपराध से कैसे बचें?

  • किसी भी अनजान कॉल, खासकर व्हाट्सएप पर सरकारी अधिकारी बनकर धमकी देने वालों से सावधान रहें।
  • बैंक खातों की जानकारी किसी के साथ साझा न करें।
  • अगर कोई “डिजिटल अरेस्ट” या “मनी लॉन्ड्रिंग” की धमकी दे, तो तुरंत स्थानीय पुलिस या साइबर सेल को सूचित करें।
  • साइबर हेल्पलाइन: 1930 (24×7)

 

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