देहरादून, 26 सितंबर 2025
राजधानी का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल, दून अस्पताल, आजकल अपनी अव्यवस्थाओं के लिए चर्चा में है। अस्पताल के न्यू ओपीडी गेट पर रोजाना जाम और अतिक्रमण के कारण मरीजों और तीमारदारों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
ओपीडी तक पहुंचना बना चुनौती
अस्पताल में रोजाना करीब दो से ढाई हजार मरीज इलाज के लिए आते हैं। इनमें शहर ही नहीं बल्कि दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों से आने वाले लोग भी शामिल हैं। लेकिन न्यू ओपीडी भवन तक पहुंचने से पहले ही उन्हें जाम और अवैध पार्किंग की समस्या से जूझना पड़ता है। इससे मरीजों का दर्द और बढ़ जाता है।
अवैध पार्किंग और ठेली वालों का कब्ज़ा
अस्पताल चौक शहर का व्यस्ततम इलाका है, जहां से परेड ग्राउंड, तहसील चौक, कचहरी रोड और घंटाघर की ओर यातायात चलता है। प्रतिदिन हजारों वाहन इस मार्ग से गुजरते हैं।
- ओपीडी गेट के पास अवैध ऑटो स्टैंड संचालित है।
- सड़क किनारे ठेली-रेहड़ी वाले कब्जा जमाए बैठे हैं।
- अस्पताल स्टाफ के वाहन पूरे दिन सड़क पर खड़े रहते हैं।
- नगर निगम भी गेट से लेकर पंडित दीन दयाल पार्क तक सड़क के हिस्से को पार्किंग ज़ोन बना चुका है।
इन कारणों से सड़क का बड़ा हिस्सा घिरा रहता है और मामूली दबाव में भी घंटों जाम लग जाता है।
प्रशासन की बेरुखी
यह समस्या कोई नई नहीं है। लंबे समय से मरीज और तीमारदार इसका सामना कर रहे हैं। नगर निगम, यातायात पुलिस और जिला प्रशासन के अधिकारी रोज इसी मार्ग से गुजरते हैं, लेकिन समस्या की ओर ध्यान देने के बजाय आंखें मूंदकर निकल जाते हैं। नतीजा यह है कि हालात और बिगड़ते जा रहे हैं।
मरीजों की पीड़ा
- अमित सिंह, विकासनगर निवासी – “पिछली बार कार से आए थे और घंटों जाम में फंसे रहे। इस बार बाइक से आना पड़ा क्योंकि यहां पार्किंग की व्यवस्था ही नहीं है।”
- सुभाष वर्मा, स्थानीय निवासी – “गेट पर हर समय जाम रहता है। रेहड़ी-ठेली वाले हटते नहीं। मरीजों को अंदर पहुंचने में भारी दिक्कत होती है।”
निष्कर्ष
दून अस्पताल जैसे प्रमुख चिकित्सा संस्थान में बुनियादी सुविधाओं की कमी और अव्यवस्था प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती है। जहां मरीजों को राहत और सुविधा मिलनी चाहिए, वहां उन्हें सड़क पर जाम और अतिक्रमण से जूझना पड़ रहा है। अगर जल्द ही नगर निगम और यातायात पुलिस ने ठोस कदम नहीं उठाए, तो यह समस्या और विकराल रूप ले सकती है।