दिनांक: 7 नवंबर 2025
स्थान: देहरादून, उत्तराखंड
देहरादून के दून अस्पताल में मरीजों को दी जाने वाली फ्री-बिलिंग सुविधा को लेकर बड़ा प्रशासनिक बदलाव किया गया है। अस्पताल प्रबंधन ने गुरुवार को नई व्यवस्था लागू करने की घोषणा की, जिसके तहत अब मुफ्त बिलिंग का अनुमोदन केवल चिकित्सा अधीक्षक (MS) और उप चिकित्सा अधीक्षक (DMS) के अधिकार क्षेत्र में रहेगा।
यह बदलाव शुक्रवार से लागू हो जाएगा और अस्पताल प्रशासन इसे पारदर्शिता तथा जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में अहम कदम बता रहा है।
पूर्व आदेश हुए निरस्त, अब सिर्फ दो अधिकारी करेंगे अंतिम स्वीकृति
प्रबंधन ने साफ कहा है कि फ्री-बिलिंग से जुड़े सभी पुराने आदेश तत्काल प्रभाव से निरस्त माने जाएंगे। नई व्यवस्था के अनुसार, MS या DMS की अनुपस्थिति में उनके द्वारा नामित अधिकारी ही फ्री-बिलिंग को अनुमोदित कर सकेंगे।
अस्पताल प्रशासन का मानना है कि फ्री-बिलिंग सुविधा का दुरुपयोग रोकने और वास्तविक पात्रों तक लाभ पहुँचाने के लिए यह परिवर्तन आवश्यक था।
आपातकालीन मरीजों के लिए राहत, पुरानी व्यवस्था जारी
अस्पताल ने स्पष्ट किया है कि गंभीर और जीवन-रक्षक स्थितियों में आने वाले मरीजों के लिए किसी भी प्रकार की अड़चन नहीं डाली जाएगी।
लावारिस मरीज, सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति और आग से झुलसे मरीज पहले की तरह ईएमओ (इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर) से तुरंत फ्री-बिलिंग की मंजूरी प्राप्त कर सकेंगे।
इससे आपातकालीन उपचार में किसी भी प्रकार की देरी नहीं होगी।
नई व्यवस्था क्यों लागू हुई? अस्पताल प्रशासन ने बताई वजह
चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आर.एस. बिष्ट ने कहा कि यह कदम फ्री-बिलिंग प्रक्रिया में नियंत्रण, पारदर्शिता और जिम्मेदारी तय करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
उनके अनुसार—
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फ्री-बिलिंग सिर्फ पात्र व्यक्तियों को मिले
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अनियमितताओं पर नियंत्रण रहे
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विभागों की जवाबदेही बढ़े
इसी लक्ष्य के साथ यह नई प्रणाली लागू की गई है। सभी विभागाध्यक्षों और इकाइयों को आदेश का पूरी कठोरता से पालन करने के निर्देश भी जारी किए गए हैं।
नई प्रक्रिया से बढ़ेगी मरीजों की मशक्कत
अस्पताल के अलग-अलग भवन एक-दूसरे से दूरी पर स्थित हैं। ओपीडी, आईपीडी और इमरजेंसी बिल्डिंग के बीच पर्याप्त फासला होने के कारण मरीजों को कई बार आवाजाही करनी पड़ सकती है।
क्यों बढ़ेगी परेशानी?
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फ्री-बिलिंग अब MS या DMS की स्वीकृति पर निर्भर
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दोनों अधिकारी अक्सर प्रशासनिक बैठकों में व्यस्त रहते हैं
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उनकी अनुपस्थिति में मरीजों को इंतजार करना पड़ सकता है
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मजबूरी में मरीजों को इमरजेंसी विभाग तक जाना पड़ेगा
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ईएमओ ओपीडी के मरीजों की फ्री-बिलिंग उसी सहजता से करेंगे या नहीं, इस पर भी सवाल
अस्पताल में यह सुविधा स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रित, राज्य आंदोलनकारियों, मान्यता प्राप्त पत्रकारों सहित कुछ विशेष वर्गों को प्रदान की जाती है।
निष्कर्ष
दून अस्पताल की इस नई व्यवस्था से फ्री-बिलिंग प्रणाली और अधिक सख्त व नियंत्रित हो जाएगी। जहां एक ओर प्रशासन इसे पारदर्शिता की दिशा में महत्वपूर्ण सुधार के रूप में देख रहा है, वहीं दूसरी ओर मरीजों को अधिक इंतजार और अतिरिक्त दौड़भाग का सामना भी करना पड़ सकता है। आने वाले दिनों में यह व्यवस्था कितनी प्रभावी साबित होती है, यह मरीजों व अस्पताल दोनों के अनुभव से स्पष्ट होगा।


