देहरादून, 2 अगस्त 2025
गरीबों के इलाज के लिए बनी आयुष्मान भारत योजना एक बार फिर बड़े फर्जीवाड़े का शिकार हुई है। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण (SHA) ने हरिद्वार और रुड़की के दो निजी अस्पतालों — क्वाड्रा हॉस्पिटल और मेट्रो हॉस्पिटल — पर गंभीर अनियमितताओं का संज्ञान लेते हुए इनकी संबद्धता तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दी है। आरोप है कि इन अस्पतालों ने मरीजों को अनावश्यक रूप से आईसीयू में भर्ती दिखाकर सरकारी फंड का दुरुपयोग किया, और फर्जी दस्तावेजों के जरिए क्लेम उठाए।
क्वाड्रा हॉस्पिटल: आईसीयू को बना डाला कमाई का अड्डा
रुड़की स्थित क्वाड्रा हॉस्पिटल के खिलाफ की गई ऑडिट रिपोर्ट में भारी गड़बड़ियां सामने आई हैं:
- 1800 सामान्य मरीजों में से 1619 को आईसीयू में भर्ती दिखाया गया — यानी करीब 90% मरीज आईसीयू में थे, जो चिकित्सा तर्क से परे है।
- मरीजों को पहले 3–6 दिन तक आईसीयू में रखा गया, और फिर छुट्टी से ठीक पहले 1–2 दिन के लिए सामान्य वार्ड में शिफ्ट किया गया ताकि आईसीयू पैकेज का भुगतान वाजिब ठहराया जा सके।
- सामान्य बीमारियों जैसे उल्टी, यूटीआई, निर्जलीकरण में भी मरीजों को गंभीर दर्शाकर ICU में भर्ती बताया गया।
- आईसीयू में भर्ती मरीजों की फोटो में न मॉनिटर चालू था, न आईवी लाइन, और बेड नंबर हर दिन बदले जा रहे थे।
- कई मरीजों के मोबाइल नंबर अलग-अलग परिवारों में एक जैसे पाए गए, जबकि पहचान पत्र व BIS रिकॉर्ड में भिन्नता थी।
- गंभीर स्थिति दिखाकर भर्ती किए गए मरीजों को LAMA (Leave Against Medical Advice) के तहत छुट्टी देना भी संदेहास्पद रहा।
मेट्रो हॉस्पिटल: हर मरीज बना ‘आईसीयू केस’
हरिद्वार के मेट्रो हॉस्पिटल ने भी गड़बड़ियों की हद पार कर दी:
- लगभग हर मरीज को 3 से 18 दिन तक आईसीयू में रखा गया और फिर सामान्य वार्ड में शिफ्ट कर डिस्चार्ज किया गया।
- आईसीयू चार्ट, मरीजों की तस्वीरें और जरूरी दस्तावेजों की कमी पाई गई, जबकि ये एसएचए के अनुसार अनिवार्य होते हैं।
- टीएमएस पोर्टल पर अपलोड किए गए डॉक्युमेंट धुंधले और अपठनीय पाए गए, जिससे अपकोडिंग की आशंका और गहरी हुई।
पांच दिन का अल्टीमेटम, वरना स्थायी निष्कासन
राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने दोनों अस्पतालों को पांच दिन में विस्तृत जवाब देने का निर्देश दिया है।
अगर जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया, तो:
- दोनों अस्पतालों की संबद्धता स्थायी रूप से समाप्त की जाएगी।
- आर्थिक दंड और अन्य कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
फिलहाल योजना के अंतर्गत नए मरीजों की भर्ती पर रोक लगा दी गई है, लेकिन पहले से भर्ती मरीजों का इलाज जारी रहेगा।
आगे भी सख्त निगरानी और कार्रवाई का संकेत
स्वास्थ्य प्राधिकरण ने साफ किया है कि इस तरह की धोखाधड़ी को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
SHA की निगरानी टीम को और अधिक सक्रिय किया गया है ताकि भविष्य में कोई अस्पताल योजना का दुरुपयोग न कर सके।
बड़ी योजनाओं में फर्जीवाड़े का बढ़ता चलन
आयुष्मान भारत जैसी महत्वाकांक्षी योजनाएं लाखों गरीबों के लिए जीवन रेखा हैं। लेकिन जब अस्पताल फर्जी दस्तावेजों और आईसीयू की आड़ में लाखों की लूट करते हैं, तो इससे न केवल जनता का नुकसान होता है, बल्कि सरकारी व्यवस्था पर भी सवाल उठते हैं।
सवाल यही है: क्या फर्जीवाड़े की इस चेन पर लगाम लगेगी?
अब नजर इस पर रहेगी कि इन दो अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई के बाद क्या अन्य गड़बड़ी करने वाले अस्पतालों पर भी शिकंजा कसेगा या यह मामला भी चंद नोटिस और फाइलों में दफन होकर रह जाएगा।
राज्य की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना में हुई इस लूट ने न केवल सिस्टम की साख को झकझोरा है, बल्कि गरीब मरीजों के भरोसे को भी गहरी चोट पहुंचाई है।