देहरादून, 2 अगस्त 2025 – पहाड़ों की रानी देहरादून अब सिर्फ ट्रैकिंग और हिल स्टेशनों तक ही सीमित नहीं रहेगी। अब पर्यटक यहां की नदियों में एंगलिंग यानी स्पोर्ट फिशिंग का भी रोमांचक अनुभव ले सकेंगे। जिला मत्स्य विभाग ने इसकी शुरुआत करते हुए पहले चरण में यमुना, टोंस और अमलावा नदियों में एंगलिंग की अनुमति दी है।
पांच समितियों को जारी हुए लाइसेंस
जिला प्रशासन ने तीन प्रमुख नदियों की चयनित धाराओं में एंगलिंग की जिम्मेदारी स्थानीय मत्स्य सहकारी समितियों को सौंपी है। इसके तहत पांच समितियों को लाइसेंस जारी किए गए हैं, जिनकी निगरानी में ही पर्यटक मछली पकड़ सकेंगे। भारतीय पर्यटकों के लिए शुल्क 75 रुपये प्रतिदिन और विदेशी सैलानियों के लिए 150 रुपये प्रतिदिन तय किया गया है।
कहां-कहां कर सकेंगे पर्यटक एंगलिंग?
नदी | बीट का दायरा | समिति का नाम |
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टोंस | अणु गांव से फेडीज पुल तक | देवी माता मत्स्य जीवी सहकारी समिति, कुल्हा, चकराता |
यमुना | चामी पुल से क्यारापुल तक | जय शैल कुडिया देवता समिति, नाडा, चकराता |
यमुना | क्यारापुल से डबरेडखड तक | बत्तसर समिति, भुनोऊ, कालसी |
अमलावा | गाडाछानी से सेवनाछानी तक | जौनसारी महिला मौन उत्पादक संगठन, कालसी |
अमलावा | सेवनाछानी से व्यासनहरी तक | एसएससी ग्रामीण व शहरी विकास समिति, सहिया |
महाशीर मछली बनी एंगलिंग का मुख्य आकर्षण
इन नदियों में महाशीर जैसी दुर्लभ और आकर्षक मछलियां पाई जाती हैं, जिन्हें पकड़ने के बाद खेल भावना के तहत वापस नदी में छोड़ दिया जाता है। इससे न केवल जैव विविधता को बल मिलेगा बल्कि मछलियों के अवैध शिकार पर भी अंकुश लगेगा।
पर्यटन और रोजगार, दोनों को मिलेगा बल
दून घाटी में एंगलिंग पर्यटन से होमस्टे, होटल, गाइड, उपकरण विक्रेता और अन्य स्थानीय सेवाओं को लाभ मिलेगा। जिला मत्स्य अधिकारी विनोद यादव ने बताया, “यह पहल न केवल प्रकृति से जोड़ने वाला अनुभव है, बल्कि इससे ग्रामीण स्तर पर स्वरोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे। भविष्य में एंगलिंग प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जा सकती हैं।”
आगे की योजना
यदि यह मॉडल सफल रहता है, तो जिले की अन्य समितियों को भी लाइसेंस जारी किए जाएंगे। साथ ही जिले के अन्य जल स्रोतों को भी एंगलिंग के लिए चिन्हित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
निष्कर्ष: देहरादून अब मछली पकड़ने के शौकीनों के लिए भी एक नया डेस्टिनेशन बनता जा रहा है। प्रकृति की गोद में एंगलिंग का यह नया अध्याय न केवल पर्यटन को बढ़ावा देगा बल्कि स्थानीय समुदायों को भी आर्थिक रूप से सशक्त करेगा।