परिवहन अधिकारियों ने खुद की यात्रा, सामने आई पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सच्चाई
देहरादून। स्मार्ट सिटी का तमगा, लेकिन हालात बेहाल। देहरादून की सार्वजनिक परिवहन सेवाएं न केवल अस्त-व्यस्त हैं, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा, सुविधा और गरिमा पर भी सीधा हमला कर रही हैं।
विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर जब आरटीओ (प्रशासन) संदीप सैनी और प्रवर्तन आरटीओ डॉ. अनीता चमोला ने आदेश जारी किया कि सभी अधिकारी हर गुरुवार को पब्लिक ट्रांसपोर्ट से ऑफिस पहुंचें, तो गुरुवार को जो नजारा सामने आया, उसने विभाग को भी चौंका दिया।
एक हाथ में मोबाइल, मुंह में बीड़ी – यही है चालकों का “ड्राइविंग स्टाइल”
आरटीओ संदीप सैनी जब टाटा मैजिक वाहन (UK07-TD-3882) में सवार हुए, तो पाया कि चालक तेज रफ्तार में मोबाइल पर बात कर रहा था और मुंह में बीड़ी थी। वाहन में अतिरिक्त सीट लगी थी, चालक वर्दी में नहीं था और यात्रियों से बदतमीजी कर रहा था। आरटीओ ने मौके पर ही वाहन को सीज कर चालक का लाइसेंस तीन महीने के लिए निलंबित कर दिया।
यात्रियों का दुख: ओवरलोडिंग, टिकट नहीं, बदतमीजी अलग से
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सिटी बसों और विक्रम में गंदगी, टूटी सीटें, और आरक्षित सीटों पर भीड़
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महिला यात्रियों की शिकायत: “खुले पैसे न लौटाना आम बात है”
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किराया सूची नहीं, न ही टिकट देने की परंपरा
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वाहन चालकों द्वारा मनमाना किराया, वर्दी न पहनना आम चलन
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कई वाहनों में म्यूजिक सिस्टम और प्रेशर हॉर्न का बेजा इस्तेमाल
जब अफसरों ने खुद उठाया पब्लिक ट्रांसपोर्ट का बोझ
आरटीओ (प्रशासन) संदीप सैनी का अनुभव:
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पैदल चलकर विक्रम पकड़ा, जो पहले से ओवरलोड था
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दर्शनलाल चौक से घंटाघर तक पैदल
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फिर टाटा मैजिक से ऑफिस तक
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कुल मिलाकर यात्रा के दौरान सुरक्षा, सुविधा और अनुशासन का घोर अभाव
आरटीओ (प्रवर्तन) डॉ. अनीता चमोला:
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कुल्हान से सीधे कोई पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं
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ऑटो से सफर किया और बताया कि सहस्रधारा रोड से सीधे कार्यालय आने का साधन नहीं
रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई शुरू
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दो वाहन सीज, चालकों के लाइसेंस निलंबित
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सिटी बस यूनियन और टाटा मैजिक यूनियन को नोटिस जारी
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भविष्य में मार्ग अधूरे चलाने वालों पर प्रवर्तन कार्रवाई
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सभी मैजिक वाहनों का ऑडिट कराने का आदेश
स्मार्ट सिटी की बसें बनीं राहत की वजह
आरटीओ कार्यालय तक जिन कर्मचारियों ने स्मार्ट ई-बसों में सफर किया, उन्होंने साफ-सुथरी, व्यवस्थित सेवा की तारीफ की। बसों में टिकटिंग मशीन, चालक-परिचालक की वर्दी और यात्रियों से सभ्य व्यवहार को सकारात्मक बताया गया।
आंकड़ों में देहरादून की पब्लिक ट्रांसपोर्ट
वाहन | संख्या |
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विक्रम | 794 |
सिटी बस | 319 |
टाटा मैजिक | 400 |
ऑटो | 3000 |
ई-रिक्शा | 4500 |
(स्रोत: परिवहन विभाग, उत्तराखंड)
क्या हैं मुख्य समस्याएं?
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विक्रम, टाटा मैजिक व सिटी बसें ढाई गुना अधिक यात्रियों को बैठाकर दौड़ती हैं
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महिला और विकलांग आरक्षित सीटों पर मनचलों का कब्जा
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हेल्पर द्वारा सीटी बजाकर छेड़छाड़
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टिकट नहीं देना, बिना वर्दी, तेज म्यूजिक, गंदगी, फटी सीटें
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ऑटो मीटर सिस्टम के बावजूद मीटर नहीं चलाया जाता, मनमाना किराया वसूला जाता है
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प्रीपेड ऑटो सेवा सिर्फ नाम की, आइएसबीटी और रेलवे स्टेशन पर अनुपस्थित
25 साल बाद भी सिस्टम नहीं सुधरा
स्मार्ट सिटी बनने के बावजूद देहरादून में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था की स्थिति शर्मनाक है। जहां सरकार मेट्रो और मोनो रेल की बात कर रही है, वहीं शहर में आज तक सिटी बसों के स्थायी स्टॉपेज तक तय नहीं हुए हैं।
आगे की राह: वादा, चेतावनी और सुधार की उम्मीद
आरटीओ ने स्पष्ट कहा है कि जो वाहन अपनी परमिट शर्तें पूरी नहीं करेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही नए मार्गों पर परिवहन सेवा बढ़ाने की योजना भी बनाई जा रही है।