दिनांक : 20 नवंबर 2025
देहरादून, उत्तराखंड
एससी/एसटी छात्रों के लिए जारी की गई करोड़ों रुपयों की छात्रवृत्ति में बड़े पैमाने पर हुई कथित गड़बड़ियों के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। जांच एजेंसी ने देहरादून स्थित DIT यूनिवर्सिटी के चेयरमैन को नोटिस जारी कर 10 दिनों के भीतर ईडी कार्यालय में पेश होकर अपना पक्ष रखने को कहा है।
2012–2016 के बीच हुआ करोड़ों का कथित घोटाला
जानकारी के अनुसार,
वर्ष 2012 से 2016 के बीच कई राज्यों के शिक्षण संस्थानों ने एससी/एसटी छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति राशि में भारी अनियमितताएं की थीं।
- यह राशि सरकारी योजनाओं के तहत विद्यार्थियों की फीस, रहने व पढ़ाई की सुविधा के लिए जारी की जाती थी।
- जांच में पाया गया कि कई संस्थानों ने विद्यार्थियों को पूरी राशि न देकर अपने स्तर पर धनराशि का बंदरबांट किया।
इस बड़े घोटाले में उत्तराखंड के कई संस्थानों के नाम भी सामने आए थे।
हरिद्वार और देहरादून में दर्ज हुए मुकदमे
छात्रवृत्ति घोटाले को लेकर
- हरिद्वार
- देहरादून
में अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गई थी। इन्हीं मुकदमों के आधार पर ईडी ने धनशोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) की दिशा में जांच को आगे बढ़ाया।
हरिद्वार SIDCUL की एफआईआर के आधार पर एक्शन
ईडी की यह कार्रवाई सिडकुल, हरिद्वार में दर्ज एक महत्वपूर्ण एफआईआर के आधार पर की गई है।
इस एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि छात्रवृत्ति की राशि संस्थानों के खातों में तो गई, लेकिन विद्यार्थियों तक पूरा लाभ नहीं पहुंचा।
इसी क्रम में ईडी ने:
- वित्तीय लेन-देन की जांच
- संस्थानों के खातों का ऑडिट
- विद्यार्थियों के बयान
- और संस्थान प्रबंधन की भूमिका
सबकी जानकारी इकट्ठा की।
इसके बाद DIT यूनिवर्सिटी के चेयरमैन को नोटिस जारी किया गया है।
ईडी मांग रही है विस्तृत वित्तीय विवरण
नोटिस में चेयरमैन से इन बिंदुओं पर जवाब मांगा गया है—
- छात्रवृत्ति राशि का उपयोग
- छात्रों को दी गई वास्तविक मदद
- संस्थान द्वारा प्राप्त राशि के रिकॉर्ड
- खातों में किए गए लेन-देन का विवरण
- संस्थान की पूर्व और वर्तमान नीतियाँ
ईडी ने स्पष्ट किया है कि दिए गए समय—10 दिनों—के भीतर उपस्थित न होने पर और सख्त कार्रवाई की जा सकती है।
निष्कर्ष
देहरादून में छात्रवृत्ति घोटाले से जुड़ी ईडी की यह कार्रवाई मामले को निर्णायक मोड़ दे सकती है। वर्षों से लंबित इस मामले में अब तेज जांच से यह साफ हो सकेगा कि करोड़ों की सरकारी धनराशि आखिर छात्रों तक क्यों नहीं पहुंची और किन-किन संस्थानों की इसमें भूमिका रही। आने वाले दिनों में और बड़े खुलासों की संभावना है।


