तारीख: 22 अक्टूबर 2025
स्थान: देहरादून, उत्तराखंड
डिलीवरी के नौ महीने बाद दर्दनाक अंत
देहरादून में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां डिलीवरी के दौरान ऑपरेशन में महिला के पेट में पट्टी छोड़ देने से उसकी मौत हो गई। घटना के नौ महीने बाद यह लापरवाही सामने आई, जिसने एक खुशहाल परिवार को गहरे दुख में डाल दिया।
29 जनवरी को हुई थी डिलीवरी, जन्मी थी बेटी
लक्खीबाग निवासी 26 वर्षीय ज्योति, प्रज्वल की पत्नी थी। प्रज्वल सहारनपुर चौक पर पंक्चर की दुकान चलाते हैं।
ज्योति की डिलीवरी 29 जनवरी 2025 को मदर केयर अस्पताल, देहरादून में हुई थी। ऑपरेशन के बाद ज्योति ने एक स्वस्थ बेटी को जन्म दिया। कुछ दिन तक डॉक्टरों की देखरेख में रहने के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई।
डिलीवरी के कुछ दिन बाद शुरू हुआ दर्द
कुछ ही दिनों में ज्योति को पेट दर्द की शिकायत होने लगी। जब वह अस्पताल पहुंची, तो डॉक्टरों ने इसे सामान्य बताया और दर्दनिवारक दवाइयाँ देकर घर भेज दिया।
कई बार अस्पताल जाने के बावजूद ज्योति की स्थिति में सुधार नहीं हुआ। डॉक्टरों ने हर बार उसे “सब कुछ सामान्य” बताकर वापस भेज दिया।
तीन दिन पहले खुला राज, जब ग्राफिक एरा अस्पताल पहुंची
ज्योति की तबीयत लगातार बिगड़ती रही। पति प्रज्वल ने बताया कि
“वह रात-रातभर दर्द से कराहती रहती थी। दवाइयाँ काम नहीं कर रही थीं।”
आख़िरकार तीन दिन पहले, परिवार उसे ग्राफिक एरा अस्पताल लेकर गया। यहां जांच के बाद डॉक्टरों ने बताया कि पेट में गंभीर इंफेक्शन है और तत्काल ऑपरेशन की जरूरत है।
ऑपरेशन में निकली पट्टी, नहीं बच सकी ज्योति
शनिवार को जब डॉक्टरों ने ऑपरेशन किया तो ज्योति के पेट से पट्टी निकली, जो कथित तौर पर जनवरी में डिलीवरी के दौरान वहीं छूट गई थी।
इंफेक्शन इतना फैल चुका था कि ज्योति की हालत गंभीर हो गई और रविवार देर रात उसने दम तोड़ दिया।
परिजनों का हंगामा, अस्पताल के सामने रखा शव
ज्योति की मौत के बाद परिजनों ने गुस्से में आकर मदर केयर अस्पताल के बाहर शव रखकर प्रदर्शन किया।
इंस्पेक्टर डालनवाला मनोज मैनवाल ने बताया कि
“सोमवार को अस्पताल के बाहर भीड़ एकत्र हुई थी। पुलिस मौके पर पहुंची और परिजनों को समझाया। साथ ही सीएमओ को मामले की जानकारी दी गई।”
जांच के आदेश, अस्पताल सील
मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) डॉ. मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि
“मामले की प्राथमिक जांच में अस्पताल की लापरवाही सामने आई है। अस्पताल को सील कर दिया गया है और इसका रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया है।”
साथ ही, एसीएमओ की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की गई है, जिसे जल्द से जल्द रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
निष्कर्ष
देहरादून की इस दर्दनाक घटना ने एक बार फिर मेडिकल लापरवाही पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जहां एक नई ज़िंदगी का स्वागत होना था, वहीं एक मां की जिंदगी लापरवाही की भेंट चढ़ गई।
अब देखना होगा कि जांच समिति दोषियों के खिलाफ कितनी सख्त कार्रवाई करती है ताकि भविष्य में किसी और परिवार को ऐसी त्रासदी न झेलनी पड़े।


